स्त्री पर्व महाभारत: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "ते है," to "ते हैं,")
No edit summary
Line 3: Line 3:
*विलाप पर्व,
*विलाप पर्व,
*श्राद्ध पर्व।
*श्राद्ध पर्व।
स्त्री पर्व में [[दुर्योधन]] की मृत्यु पर [[धृतराष्ट्र]] का विलाप, [[संजय]] और [[विदुर]] द्वारा उन्हें समझाना-बुझाना, पुन: महर्षि [[व्यास]] द्वारा उनको समझाना, स्त्रियों और प्रजा के साथ धृतराष्ट्र का युद्ध भूमि में जाना, श्री [[कृष्ण]], [[पाण्डव|पाण्डवों]] और [[अश्वत्थामा]] से उनकी भेंट, शाप देने के लिए उद्यत [[गान्धारी]] को व्यास द्वारा समझाना, पाण्डवों का [[कुन्ती]] से मिलना, [[द्रौपदी]], गान्धारी आदि स्त्रियों का विलाप, व्यास के वरदान से गान्धारी द्वारा दिव्यदृष्टि से युद्ध में निहत अपने पुत्रों और अन्य योद्धाओं को देखना तथा शोकातुर हो क्रोधवश शाप देना, [[युधिष्ठिर]] द्वारा मृत योद्धाओं का दाहसंस्कार और जलांजलिदान, कुन्ती द्वारा अपने गर्भ से [[कर्ण]] की उत्पत्ति का रहस्य बताना, युधिष्ठिर द्वारा कर्ण के लिए शोक प्रकट करते हुए उसका [[श्राद्ध]] कर्म करना और स्त्रियों के मन में रहस्य न छिपने का शाप देना आदि वर्णित है।
स्त्री पर्व में [[दुर्योधन]] की मृत्यु पर [[धृतराष्ट्र]] का विलाप, [[संजय]] और [[विदुर]] द्वारा उन्हें समझाना-बुझाना, पुन: महर्षि [[व्यास]] द्वारा उनको समझाना, स्त्रियों और प्रजा के साथ धृतराष्ट्र का युद्ध भूमि में जाना, श्री [[कृष्ण]], [[पाण्डव|पाण्डवों]] और [[अश्वत्थामा]] से उनकी भेंट, [[शाप]] देने के लिए उद्यत [[गान्धारी]] को व्यास द्वारा समझाना, पाण्डवों का [[कुन्ती]] से मिलना, [[द्रौपदी]], गान्धारी आदि स्त्रियों का विलाप, व्यास के वरदान से गान्धारी द्वारा दिव्यदृष्टि से युद्ध में निहत अपने पुत्रों और अन्य योद्धाओं को देखना तथा शोकातुर हो क्रोधवश शाप देना, [[युधिष्ठिर]] द्वारा मृत योद्धाओं का दाहसंस्कार और जलांजलिदान, कुन्ती द्वारा अपने गर्भ से [[कर्ण]] की उत्पत्ति का रहस्य बताना, युधिष्ठिर द्वारा कर्ण के लिए शोक प्रकट करते हुए उसका [[श्राद्ध]] कर्म करना और स्त्रियों के मन में रहस्य न छिपने का शाप देना आदि वर्णित है।
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{महाभारत}}
{{महाभारत}}

Revision as of 04:59, 14 March 2011

स्त्री पर्व के अन्तर्गत 3 उपपर्व आते हैं, तथा 27 अध्याय है। ये 3 उपपर्व इस प्रकार हैं-

  • जलप्रादानिक पर्व,
  • विलाप पर्व,
  • श्राद्ध पर्व।

स्त्री पर्व में दुर्योधन की मृत्यु पर धृतराष्ट्र का विलाप, संजय और विदुर द्वारा उन्हें समझाना-बुझाना, पुन: महर्षि व्यास द्वारा उनको समझाना, स्त्रियों और प्रजा के साथ धृतराष्ट्र का युद्ध भूमि में जाना, श्री कृष्ण, पाण्डवों और अश्वत्थामा से उनकी भेंट, शाप देने के लिए उद्यत गान्धारी को व्यास द्वारा समझाना, पाण्डवों का कुन्ती से मिलना, द्रौपदी, गान्धारी आदि स्त्रियों का विलाप, व्यास के वरदान से गान्धारी द्वारा दिव्यदृष्टि से युद्ध में निहत अपने पुत्रों और अन्य योद्धाओं को देखना तथा शोकातुर हो क्रोधवश शाप देना, युधिष्ठिर द्वारा मृत योद्धाओं का दाहसंस्कार और जलांजलिदान, कुन्ती द्वारा अपने गर्भ से कर्ण की उत्पत्ति का रहस्य बताना, युधिष्ठिर द्वारा कर्ण के लिए शोक प्रकट करते हुए उसका श्राद्ध कर्म करना और स्त्रियों के मन में रहस्य न छिपने का शाप देना आदि वर्णित है।

संबंधित लेख