गीता 18:12: Difference between revisions
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कर्मों का फल भी किसी-न किसी जन्म में सबको अवश्य भोगना पड़ता है; इसलिये केवल कर्म फल के त्याग से मनुष्य त्यागी यानी 'कर्मबन्धन रहित ' कैसे हो सकता है ? इस शंका की निवृति के लिये कहते हैं- | कर्मों का फल भी किसी-न किसी जन्म में सबको अवश्य भोगना पड़ता है; इसलिये केवल कर्म फल के त्याग से मनुष्य त्यागी यानी 'कर्मबन्धन रहित' कैसे हो सकता है? इस शंका की निवृति के लिये कहते हैं- | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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Revision as of 13:45, 6 January 2013
गीता अध्याय-18 श्लोक-12 / Gita Chapter-18 Verse-12
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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