गीता 2:20: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "{{गीता2}}" to "{{प्रचार}} {{गीता2}}") |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<table class="gita" width="100%" align="left"> | <table class="gita" width="100%" align="left"> | ||
<tr> | <tr> | ||
Line 9: | Line 8: | ||
'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
---- | ---- | ||
उन्नीसवें श्लोक में भगवान् ने यह बात कही कि आत्मा न तो किसी को मारता है और न किसी के द्वारा मारा जाता है; उसके अनुसार बीसवें श्लोक में उसे विकार रहित बतलाकर इस बात का प्रतिपादन किया कि वह क्यों नहीं मारा | उन्नीसवें [[श्लोक]] में भगवान् ने यह बात कही कि [[आत्मा]] न तो किसी को मारता है और न किसी के द्वारा मारा जाता है; उसके अनुसार बीसवें श्लोक में उसे विकार रहित बतलाकर इस बात का प्रतिपादन किया कि वह क्यों नहीं मारा जाता। अब अगले श्लोक में यह बतलाते हैं कि वह किसी को मारता क्यों नहीं – | ||
---- | ---- | ||
<div align="center"> | <div align="center"> | ||
Line 60: | Line 59: | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{गीता2}} | {{गीता2}} | ||
</td> | </td> |
Revision as of 06:38, 4 January 2013
गीता अध्याय-2 श्लोक-20 / Gita Chapter-2 Verse-20
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
||||