गीता 8:18: Difference between revisions
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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< | [[ब्रह्मा]]<ref>सर्वश्रेष्ठ पौराणिक त्रिदेवों में ब्रह्मा, [[विष्णु]] एवं [[शिव]] की गणना होती है। इनमें ब्रह्मा का नाम पहले आता है, क्योंकि वे विश्व के आद्य सृष्टा, प्रजापति, पितामह तथा हिरण्यगर्भ हैं।</ref> के दिन-रात्रि का परिमाण बतलाकर अब उस दिन और रात के आरम्भ में बार-बार होने वाली समस्त भूतों की उत्पत्ति और प्रलय का वर्णन करते हुए उन सबकी अनित्यता का कथन करते हैं- | ||
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सम्पूर्ण चराचर भूतगण ब्रह्मा के दिन के प्रवेश काल में अव्यक्त से अर्थात् ब्रह्मा के सूक्ष्म शरीर से उत्पन्न होते हैं और ब्रह्मा की रात्रि के प्रवेश काल में उस अव्यक्त नामक ब्रह्मा के सूक्ष्म शरीर में ही लीन हो जाते हैं ।।18।। | सम्पूर्ण चराचर भूतगण ब्रह्मा के दिन के प्रवेश काल में अव्यक्त से अर्थात् [[ब्रह्मा]] के सूक्ष्म शरीर से उत्पन्न होते हैं और ब्रह्मा की रात्रि के प्रवेश काल में उस अव्यक्त नामक ब्रह्मा के सूक्ष्म शरीर में ही लीन हो जाते हैं ।।18।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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Revision as of 09:20, 5 January 2013
गीता अध्याय-8 श्लोक-18 / Gita Chapter-8 Verse-18
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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