गीता 1:37: Difference between revisions

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यहाँ यह पश्न हो सकता है कि कुटुम्ब-नाश से होने वाला दोष तो दोनों के लिय समान ही है, फिर यदि इस दोष पर विचार करके <balloon link="दुर्योधन" title="धृतराष्ट्र-गांधारी के सौ पुत्रों में सबसे बड़ा पुत्र दुर्योधन था। दुर्योधन गदा युद्ध में पारंगत था और श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का शिष्य था।
यहाँ यह पश्न हो सकता है कि कुटुम्ब-नाश से होने वाला दोष तो दोनों के लिय समान ही है, फिर यदि इस दोष पर विचार करके <balloon link="दुर्योधन" title="धृतराष्ट्र-गांधारी के सौ पुत्रों में सबसे बड़ा पुत्र दुर्योधन था। दुर्योधन गदा युद्ध में पारंगत था और श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का शिष्य था।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">दुर्योधन</balloon> युद्ध से नहीं हटते, तब तुम ही इतना विचार क्यों करते हो ? <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">दुर्योधन</balloon> युद्ध से नहीं हटते, तब तुम ही इतना विचार क्यों करते हो ? <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> दो श्लोकों में इस प्रश्न का उत्तर देते हैं-  
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> दो श्लोकों में इस प्रश्न का उत्तर देते हैं-  
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Revision as of 07:50, 20 February 2011

गीता अध्याय-1 श्लोक-36 / Gita Chapter-1 Verse-37

प्रसंग-


यहाँ यह पश्न हो सकता है कि कुटुम्ब-नाश से होने वाला दोष तो दोनों के लिय समान ही है, फिर यदि इस दोष पर विचार करके <balloon link="दुर्योधन" title="धृतराष्ट्र-गांधारी के सौ पुत्रों में सबसे बड़ा पुत्र दुर्योधन था। दुर्योधन गदा युद्ध में पारंगत था और श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का शिष्य था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">दुर्योधन</balloon> युद्ध से नहीं हटते, तब तुम ही इतना विचार क्यों करते हो ? <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> दो श्लोकों में इस प्रश्न का उत्तर देते हैं-


तस्मान्नार्हा वयं हन्तुं धार्तराष्ट्रान्स्वबान्धवान् ।
स्वजनं हि कथं हत्वा सुखिन: स्याम माधव ।।37।।



अतएव हे <balloon title="मधुसूदन, केशव, वासुदेव, माधव, जनार्दन भगवान् कृष्ण का ही सम्बोधन है ।" style="color:green">माधव</balloon> ! अपने ही बान्धव <balloon link="धृतराष्ट्र" title="धृतराष्ट्र पाण्डु के बड़े भाई थे । गाँधारी इनकी पत्नी थी और कौरव इनके पुत्र । पाण्डु के बाद हस्तिनापुर के राजा बने । ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">धृतराष्ट्र</balloon> के पुत्रों को मारने के लिये हम योग्य नहीं हैं, क्योंकि अपने ही कुटुम्ब को मारकर हम कैसे सुखी होंगे ? ।।37।।

Therefore, Krishna, it does not behove us to kill our relations, the sons of Dhratarastra. For how can we be happy after killing our own kinsmen ?(37)


तस्मात् = इससे; माधव =हे माधव; स्वबान्धवान् = अपने बान्धव; धार्तराष्ट्रान् =धृतराष्ट्र के पुत्रों को; हन्तुम् = मारने के लिये; वयम् = हम; न अर्हा: = योग्य नहीं हैं;हि =क्योंकि; स्वजनम् = अपने कुटुम्बको; हत्वा = मारकर(हम); कथम् = कैसे; सुखिन: = सुखी; स्याम = होंगे।



अध्याय एक श्लोक संख्या
Verses- Chapter-1

1 | 2 | 3 | 4, 5, 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17, 18 | 19 | 20, 21 | 22 | 23 | 24, 25 | 26 | 27 | 28, 29 | 30 | 31 | 32 | 33, 34 | 35 | 36 | 37 | 38, 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)