गीता 2:49: Difference between revisions
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इस प्रकार <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर | इस प्रकार <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था। | ||
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> को सत्य का आश्रय लेने की आज्ञा देकर अब दो श्लोकों में उस समता रूप बुद्धि से युक्त महापुरुषों की प्रशंसा करते हुए भगवान् अर्जुन को कर्मयोग का अनुष्ठान करने की पुन: आज्ञा देकर उसका फल बतलाते हैं- | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> को सत्य का आश्रय लेने की आज्ञा देकर अब दो श्लोकों में उस समता रूप बुद्धि से युक्त महापुरुषों की प्रशंसा करते हुए भगवान् अर्जुन को कर्मयोग का अनुष्ठान करने की पुन: आज्ञा देकर उसका फल बतलाते हैं- | ||
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Revision as of 07:51, 20 February 2011
गीता अध्याय-2 श्लोक-49 / Gita Chapter-2 Verse-49
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