हुमायूँ: Difference between revisions

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Revision as of 13:35, 18 March 2011

हुमायूँ
पूरा नाम नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ
अन्य नाम हुमायूँ
जन्म 17 मार्च, सन 1508 ई.
जन्म भूमि क़ाबुल
मृत्यु तिथि 27 जनवरी, सन 1555
मृत्यु स्थान दिल्ली
पिता/माता बाबर, महम बेग़म
पति/पत्नी हमीदा बानु बेग़म, बेगा बेग़म, बिगेह बेग़म, चाँद बीबी, हाज़ी बेग़म, माह-चूचक, मिवेह-जान, शहज़ादी खानम
संतान पुत्र-अकबर, मिर्ज़ा मुहम्मद हाकिम पुत्री- अकीकेह बेग़म, बख़्शी बानु बेग़म, बख्तुन्निसा बेग़म
उपाधि मुग़ल बादशाह
शासन सन 1530 से सन 1556
राज्याभिषेक 30 दिसम्बर, सन 1530 ई.
युद्ध 1554 में भारत पर आक्रमण
पूर्वाधिकारी बाबर
मक़बरा हुमायूँ का मक़बरा

बाबर के बेटों में हुमायूँ सबसे बड़ा था। वह वीर, उदार और भला था; लेकिन बाबर की तरह कुशल सेनानी और निपुण शासक नहीं था। वह सन 1530 में अपने पिता की मृत्यु होने के बाद बादशाह बना और 10 वर्ष तक राज्य को दृढ़ करने के लिए शत्रुओं और अपने भाइयों से लड़ता रहा। उसे शेरख़ाँ नाम के पठान सरदार ने शाहबाद ज़िले के चौसा नामक जगह पर सन 1539 में हरा दिया था। पराजित हो कर हुमायूँ ने दोबारा अपनी शक्ति को बढ़ा कन्नौज नाम की जगह पर शेरख़ाँ की सेना से 17 मई, सन 1540 में युद्ध किया लेकिन उसकी फिर हार हुई और वह इस देश से भाग गया। इस समय शेर ख़ाँ सूर और उसके वंशजों ने भारत पर शासन किया।

हुमायूँ द्वारा पुन: राज्य−प्राप्ति

भागा हुआ हुमायूँ लगभग 14 वर्ष तक क़ाबुल में रहा। सिकंदर सूर की व्यवस्था बिगड़ने का समाचार सुन उसका लाभ उठाने के लिए उसने सन 1554 में भारत पर आक्रमण किया और लाहौर तक अधिकार कर लिया। उसके बाद तत्कालीन बादशाह सिंकदर ने सूर पर आक्रमण किया और उसे हराया। [[चित्र:Humayun's-Tomb-Delhi-1.jpg|thumb|250px|left|हुमायूँ का मक़बरा, दिल्ली
Humayun's Tomb, Delhi]] 23 जुलाई, सन 1554 में दोबारा भारत का बादशाह बना लेकिन 7 माह राज्य करने के बाद 27 जनवरी, सन 1556 (लगभग) में पुस्तकालय की सीढ़ी से गिरकर उसकी मृत्यु हो गई। उसका मक़बरा दिल्ली में बना हुआ है। हुमायूँ की मृत्यु के समय उसका पुत्र अकबर 13−14 वर्ष का बालक था। हुमायूँ के बाद उसका पुत्र अकबर उत्तराधिकारी घोषित किया गया और उसका संरक्षक बैरमखां को बनाया गया, तब हेमचंद्र सेना लेकर दिल्ली आया और उसने मु्ग़लों को वहाँ से भगा दिया। हेमचंद्र की पराजय 6 नवंबर सन 1556 में पानीपत के मैदान में हुई थी। उसी दिन स्वतंत्र हिन्दू राज्य का सपना टूट बालक अकबर के नेतृत्व में मुग़लों का शासन जम गया।


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