गीता 8:3: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - " मे " to " में ")
m (Text replace - "{{गीता2}}" to "{{प्रचार}} {{गीता2}}")
Line 62: Line 62:
<tr>
<tr>
<td>
<td>
{{प्रचार}}
{{गीता2}}
{{गीता2}}
</td>
</td>

Revision as of 05:56, 14 June 2011

गीता अध्याय-8 श्लोक-3 / Gita Chapter-8 Verse-3

प्रसंग-


<balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> के सात प्रश्नों में से भगवान् अब पहले ब्रह्म, अध्यात्म और कर्म विषयक तीन प्रश्नों का उत्तर अगले श्लोक में क्रमश: संक्षेप से देते हैं-


श्रीभगवानुवाच
अक्षरं ब्रह्रा परमं स्वभावोऽध्यात्ममुच्यते ।
भूतभावोद्भवकरो विसर्ग: कर्मसंज्ञित: ।।3।।



श्रीभगवान् ने कहा-


परम अक्षर 'ब्रह्म' है , अपना स्वरूप अर्थात् जीवात्मा 'अध्यात्म्' नाम से कहा जाता है तथा भूतों के भाव को उत्पन्न करने वाला जो त्याग है, वह 'कर्म' नाम से कहा गया है ।।3।।

Sri Bhagavan said:


The supreme indestructible is Brahma; one’s own self (the individual soul) is called Adhyatma; and the discharge of spirits (visarga), which brings forth the existence of beings, is called karma (action). (3)


परमम् = परम ; अक्षरम् = अक्षर अर्थात् जिसका कभी नाश नहीं हो ऐसा सच्चिदानन्दघन परमात्मा तो ; ब्रह्म = ब्रह्म है (और) ; स्वभाव: = अपना स्वरूप अर्थात् जीवात्मा ; अध्यात्मम् = अध्यात्म (नाम से); उच्यते = कहा जाता है (तथा) ; भूतभावोभ्दवकर: = भूतों के भाव को उत्पन्न करने वाला ; विसर्ग: = शास्त्रविहित यज्ञ दान और होम आदि के निमित्त जो द्रव्यादि कों का त्याग है वह ; कर्मसंज्ञित: = कर्म नामसे कहा गया है



अध्याय आठ श्लोक संख्या
Verses- Chapter-8

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12, 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)