फ़र्रुख़सियर: Difference between revisions

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*'''फ़र्रुख़सियर''' नवाँ [[मुग़ल]] बादशाह (1713-1719) और [[शाहजादा अजीमुश्शान|अजीमुश्शान]] का पुत्र था।
*[[सैयद बन्धु]] अब्दुल्ला ख़ाँ और हुसैन अली ख़ाँ की मदद से '''फ़र्रुख़सियर''' [[11 जनवरी]], 1713 को [[मुग़ल]] राजसिंहासन पर बैठा।
*यह अपने [[पिता]] [[शाह आलम प्रथम]] (1707-1712) की मृत्यु के पश्चात उत्तराधिकार के युद्ध में मारा गया।
*उसने अब्दुल्ला ख़ाँ को वज़ीर का पद एवं 'कुतुबुलमुल्क' की उपाधि तथा हुसैन अली ख़ाँ को 'अमीर-उल-उमरा' तथा 'मीर बख़्शी' का पद दिया।
*फ़र्रुख़सियर वज़ीर [[जुल्फ़िकार ख़ाँ]] की सहायता से अपने चाचा बादशाह [[जहाँदारशाह]] (1712-1713) को, जिसकी बाद में हत्या करा दी गई, पदच्युत कर ख़ुद [[दिल्ली]] के राजसिंहासन पर बैठ गया।
*सिंहासन पर बैठने के बाद फ़र्रुख़सियर ने जुल्फिकार ख़ाँ की हत्या करवा दी और साथ ही उसके पिता असद ख़ाँ को क़ैद कर लिया।
*इसके कुछ ही दिन बाद फ़र्रुख़सियर ने जुल्फ़िकार ख़ाँ को सूली पर चढ़वा दिया और [[हुसेन अली]] व [[अब्दुल्ला ख़ाँ]] नामक दो [[सैयद बन्धु|सैयद बन्दुओं]] को अपना विश्वासपात्र बनाया।
*इसके काल में मुग़ल सेना ने [[17 दिसम्बर]], 1715 को [[सिक्ख]] नेता [[बन्दा बहादुर|बन्दा सिंह]] को उसके 740 समर्थकों के साथ बन्दी बना लिया।
*फ़र्रुख़सियर ने हुसेन अली को प्रधान सेनापति और अब्दुल्ला ख़ाँ को अपना वज़ीर बनाया।
 
*अपने अल्प शासनकाल में फ़र्रुख़सियर ने [[सिक्ख]] नेता [[बन्दा बहादुर|बंदा बैरागी]] को उसके एक हज़ार अनुयायियों के साथ गिरफ़्तार कर 1715 ई. में सबको मरवा डाला।
*बाद में [[इस्लाम धर्म]] स्वीकार न करने के कारण इन सबकी निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई।
*[[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] ने फ़र्रुख़सियर से बहुत लाभ उठाया। 1715 ई. में एक अंग्रेज़ी दूतमंडल, जिसमें [[विलियम हैमिल्टन]] नामक शल्य चिकित्सक भी था, उसके दरबार में आया।
*फ़र्रुख़सियर के समय में ही 1716 ई. बन्दा बहादुर को [[दिल्ली]] में फाँसी दे दी गयी।
*[[अंग्रेज़]] शल्य चिकित्सक विलियम हैमिल्टन ने शल्य चिकित्सा से बहादुरशाह की बीमार पुत्री को मामूली इलाज से ठीक कर दिया था।
*इस प्रकार फ़र्रुख़सियर के समय की महत्वपूर्ण घटना 'सिक्ख विद्रोह' की समाप्ति थी।
*फ़र्रुख़सियर ने खुश होकर शल्य चिकित्सक की स्वामी ईस्ट इंडिया कम्पनी को ईनाम के तौर पर व्यापार में महत्त्वपूर्ण रियायतें दीं और [[बंगाल]] में उसके लिए तटकर माफ़ कर दिया।
*1717 ई. में फर्रूखसियर के दरबार में एक दूतमण्डल भेजा गया, यह दूतमण्डल [[कोलकाता|कलकत्ते]] से 'जॉन सरमन' द्वारा ले जाया गया, जिसकी सहायता 'एडवर्ड स्टिफेन्सन' कर रहा था।
*इस दूतमण्डल में 'विलियम हैमिल्ट' नामक सर्जन तथा 'ख़्वाजा सेहूर्द' नामक एक आर्मीनियाई दुभाषिया भी थे।
*हैमिल्टन ने बादशाह फ़र्रुख़सियर की एक ख़तरनाक बीमारी से छुटकारा दिलाने में सफलता प्राप्त कर ली, जिससे सम्राट ने [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] से प्रसन्न होकर 1717 में एक शाही फ़रमान जारी किया।
 
*इस फ़रमान के अन्तर्गत अंग्रेज़ों को तीन हज़ार रुपये वार्षिक कर के बदले [[बंगाल]] में व्यापार करने का जो विशेषाधिकार मिला था, वह पुष्ट हो गया।
*फ़र्रुख़सियर दिमाग़ का कमज़ोर था, इसीलिए वह सैयद बन्दुओं के नियंत्रण से मुक्त होना चाहता था।
*फ़र्रुख़सियर दिमाग़ का कमज़ोर था, इसीलिए वह सैयद बन्दुओं के नियंत्रण से मुक्त होना चाहता था।
*दैवयोग से [[सैयद बन्धु|सैयद बन्दुओं]] को सम्राट के षड़यंत्र का पता चल गया और उन्होंने पहले ही उसको उपदस्थ कर दिया और बाद को आँखें निकलवा कर मरवा डाला।  
*दैवयोग से [[सैयद बन्धु|सैयद बन्दुओं]] को सम्राट के षड़यंत्र का पता चल गया और उन्होंने पहले ही उसको अपदस्थ कर दिया और बाद को आँखें निकलवा कर मरवा डाला।


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Revision as of 13:15, 30 June 2011

thumb|फ़र्रुख़सियर
Farrukhsiyar

  • सैयद बन्धु अब्दुल्ला ख़ाँ और हुसैन अली ख़ाँ की मदद से फ़र्रुख़सियर 11 जनवरी, 1713 को मुग़ल राजसिंहासन पर बैठा।
  • उसने अब्दुल्ला ख़ाँ को वज़ीर का पद एवं 'कुतुबुलमुल्क' की उपाधि तथा हुसैन अली ख़ाँ को 'अमीर-उल-उमरा' तथा 'मीर बख़्शी' का पद दिया।
  • सिंहासन पर बैठने के बाद फ़र्रुख़सियर ने जुल्फिकार ख़ाँ की हत्या करवा दी और साथ ही उसके पिता असद ख़ाँ को क़ैद कर लिया।
  • इसके काल में मुग़ल सेना ने 17 दिसम्बर, 1715 को सिक्ख नेता बन्दा सिंह को उसके 740 समर्थकों के साथ बन्दी बना लिया।
  • बाद में इस्लाम धर्म स्वीकार न करने के कारण इन सबकी निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई।
  • फ़र्रुख़सियर के समय में ही 1716 ई. बन्दा बहादुर को दिल्ली में फाँसी दे दी गयी।
  • इस प्रकार फ़र्रुख़सियर के समय की महत्वपूर्ण घटना 'सिक्ख विद्रोह' की समाप्ति थी।
  • 1717 ई. में फर्रूखसियर के दरबार में एक दूतमण्डल भेजा गया, यह दूतमण्डल कलकत्ते से 'जॉन सरमन' द्वारा ले जाया गया, जिसकी सहायता 'एडवर्ड स्टिफेन्सन' कर रहा था।
  • इस दूतमण्डल में 'विलियम हैमिल्ट' नामक सर्जन तथा 'ख़्वाजा सेहूर्द' नामक एक आर्मीनियाई दुभाषिया भी थे।
  • हैमिल्टन ने बादशाह फ़र्रुख़सियर की एक ख़तरनाक बीमारी से छुटकारा दिलाने में सफलता प्राप्त कर ली, जिससे सम्राट ने अंग्रेज़ों से प्रसन्न होकर 1717 में एक शाही फ़रमान जारी किया।
  • इस फ़रमान के अन्तर्गत अंग्रेज़ों को तीन हज़ार रुपये वार्षिक कर के बदले बंगाल में व्यापार करने का जो विशेषाधिकार मिला था, वह पुष्ट हो गया।
  • फ़र्रुख़सियर दिमाग़ का कमज़ोर था, इसीलिए वह सैयद बन्दुओं के नियंत्रण से मुक्त होना चाहता था।
  • दैवयोग से सैयद बन्दुओं को सम्राट के षड़यंत्र का पता चल गया और उन्होंने पहले ही उसको अपदस्थ कर दिया और बाद को आँखें निकलवा कर मरवा डाला।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-253

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