गीता 11:6: Difference between revisions
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हे भरतवंशी <balloon link=" | हे भरतवंशी <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था। | ||
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> ! मुझमें आदित्यों को अर्थात् <balloon link=" | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> ! मुझमें आदित्यों को अर्थात् <balloon link="अदिति " title="अदिति दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं और कश्यप ॠषि को ब्याही थीं । इनको देवमाता कहा गया है। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अदिति</balloon> के द्वादश पुत्रों को, आठ वसुओं को, एकादश रुद्रों को, दोनों <balloon link="अश्विनीकुमार " title="अश्विनी से उत्पन्न, सूर्य के औरस पुत्र, दो वैदिक देवता थे। ये देव चिकित्सक थे। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अश्विनी कुमारों</balloon> को और उनचास मरूद्गणों को देख तथा और भी बहुत-से पहले न देखे हुए आश्चर्यमय रूपों को देख ।।6।। | ||
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Revision as of 10:49, 21 March 2010
गीता अध्याय-11 श्लोक-6 / Gita Chapter-11 Verse-6
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