पश्चिमी ब्रेकी सेफल: Difference between revisions
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पश्चिमी ब्रेकीसेफल प्रजाति मध्य एशिया की पामीर पर्वतमाला तथा ईरान पठार से ईसा से 3000 वर्ष पूर्व भारत में आयी। ये लोग 'पिशाच' अथवा 'दरदभासा' परिवार की भाषा बोलते थे। | पश्चिमी ब्रेकीसेफल प्रजाति मध्य एशिया की पामीर पर्वतमाला तथा ईरान पठार से ईसा से 3000 वर्ष पूर्व भारत में आयी। ये लोग 'पिशाच' अथवा 'दरदभासा' परिवार की भाषा बोलते थे। | ||
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Revision as of 10:08, 18 August 2012
- पश्चिमी ब्रैकीसेफल (Wesern Brachycephals)
पश्चिमी ब्रैकीसेफल की भी तीन शाखाएँ हैं -
- अल्पाइन (Alpine)
- दीनापक या डिनरिक (Dinaric)
- आर्मीनिया या आर्मिनॉयड (Anrmenien)
- अल्पाइन
- यूरोप में आल्पस पर्वत के आस-पास इस प्रजाति के लोगों के निवास करने के कारण इसे आल्पस प्रजाति कहते हैं।
- गुजरात, सौराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश तथा मध्य भारत में इस प्रजाति के लोग पाये जाते हैं।
- दीनापक या डिनरिक
- इनकी दूसरी शाखा डिनारी है, जो बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक, तमिल प्रदेश तथा महाराष्ट्र, काठियावाड़, कन्नड़ व तमिल - भाषी प्रदेशों में निवास करती है।
- आर्मीनिया या आर्मिनॉयड
- इनकी तीसरी शाखा आर्मिनॉयड है, जो मुम्बई के पारसियों में देखने को मिलती है।
- शारीरिक लक्षण
इनके शारीरिक लक्षण हैं - चौड़े कन्धे, गहरी छाती, लम्बी व चौड़ी टांगें, चौड़ा सिर, छोटी नाक, त्वचा का रंग पीला आदि।
- विशेषताएँ
पश्चिमी ब्रेकीसेफल प्रजाति मध्य एशिया की पामीर पर्वतमाला तथा ईरान पठार से ईसा से 3000 वर्ष पूर्व भारत में आयी। ये लोग 'पिशाच' अथवा 'दरदभासा' परिवार की भाषा बोलते थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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