गीता 14:17: Difference between revisions

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Revision as of 13:00, 21 March 2010

गीता अध्याय-14 श्लोक-17 / Gita Chapter-14 Verse-17

प्रसंग-


कार्य की उत्पत्ति से कारण की सत्ता को जान लेने के लिये ज्ञान आदि की उत्पत्ति में सत्त्व आदि गुणों को कारण बतलाते हैं-


सत्त्वातसंजायते ज्ञानं रजसो लोभ एव च ।
प्रमादमोहौ तमसो भवतोऽज्ञानमेव च ।।17।।



सत्वगुण से ज्ञान उत्पन्न होता है और रजोगुण से निस्सन्देह लोभ; तथा तमोगुण से प्रमाद और मोह उत्पन्न होते है और अज्ञान भी होता है ।।17।।

Wisdom follows from Sattva, and greed, undoubtedly, from Rajas, likewise obstinate error, stupor and also ignorance follow from Tamas.(17)


सत्त्वात् = सत्त्वगुणसे ; ज्ञानम् = ज्ञान ; संजायते = उत्पन्न होता है ; च = और ; रजस: = रजोगुणसे ; एव = नि:सन्देह ; लोभ: = लोभ (उत्पन्न होता है) ; च = तथा ; तमस: = तमोगुणसे ; प्रमादमोहौ = प्रमाद और मोह ; भवत: = उत्पन्न होते हैं (और) ; अज्ञानम् = अज्ञान ; एव = भी (होता है)



अध्याय चौदह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-14

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)