गीता 2:16: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "{{गीता2}}" to "{{प्रचार}} {{गीता2}}")
No edit summary
 
Line 1: Line 1:
<table class="gita" width="100%" align="left">
<table class="gita" width="100%" align="left">
<tr>
<tr>
Line 58: Line 57:
<tr>
<tr>
<td>
<td>
{{प्रचार}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
{{गीता2}}
{{गीता2}}
</td>
</td>

Latest revision as of 06:23, 4 January 2013

गीता अध्याय-2 श्लोक-16 / Gita Chapter-2 Verse-16

प्रसंग-


पूर्व श्लोक में जिस 'सत्' तत्त्व के लिये यह कहा गया है कि 'उसका अभाव नहीं है', वह 'सत्' तत्त्व क्या है- इस जिज्ञासा पर कहते हैं-


नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सत: ।
उभयोरपि दृष्टोऽन्तस्त्वनयोस्तत्त्वदर्शिभि: ।।16।।




असत् वस्तु की तो सत्ता नहीं है और सत् का अभाव नहीं है । इस प्रकार इन दोनों को ही तत्त्वज्ञानी पुरुषों द्वारा देखा गया है ।।16।।


The unreal has no existence, and the real never ceases to be, the reality of both has thus been perceived by the seers of truth.(16)


असत: = असत् (वस्तु) का तो ; विद्यते = है ; तु = और ; सत: = सतका ; अभाव: अभाव ; न = नहीं ; विद्यते = है (इस प्रकार) ; भाव: = अस्तित्व ; न = नहीं ; अनयो: = इन ; उभयो: = दोनोंका ; अपि = ही ; अन्त: = तत्त्व ; तत्वदर्शिभि: = ज्ञानी पुरुषोंद्वारा ; दष्ट: = देखा गया है;



अध्याय दो श्लोक संख्या
Verses- Chapter-2

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 , 43, 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख