गीता 18:11: Difference between revisions
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उपर्युक्त श्लोक में सात्त्विक त्यागी को यानी निष्काम भाव से कर्तव्य कर्म का अनुष्ठान करने वाले कर्मयोगी को सच्चा त्यागी | उपर्युक्त [[श्लोक]] में सात्त्विक त्यागी को यानी निष्काम भाव से कर्तव्य कर्म का अनुष्ठान करने वाले कर्मयोगी को सच्चा त्यागी बतलाया। इस पर यह शंका होती है। कि निषिद्ध और काम्य कर्मों की भाँति अन्य कर्मों का स्वरूप से त्याग कर देने वाला मनुष्य भी तो सच्चा त्यागी हो सकता है, फिर केवल निष्काम भाव से कर्म करने वाले को ही सच्चा त्यागी क्यों कहा गया। इसलिये कहते हैं- | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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गीता अध्याय-18 श्लोक-11 / Gita Chapter-18 Verse-11
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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