गीता 18:12: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "संन्यास" to "सन्न्यास") |
||
Line 12: | Line 12: | ||
<div align="center"> | <div align="center"> | ||
'''अनिष्टमिष्टं मिश्रं च त्रिविधं कर्मण: फलम् ।'''<br /> | '''अनिष्टमिष्टं मिश्रं च त्रिविधं कर्मण: फलम् ।'''<br /> | ||
'''भवत्यत्यागिनां प्रेत्य न तु | '''भवत्यत्यागिनां प्रेत्य न तु सन्न्यासिनां क्वचित् ।।12।।''' | ||
</div> | </div> | ||
---- | ---- | ||
Line 33: | Line 33: | ||
|- | |- | ||
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | | style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | ||
अत्यागिनाम् = सकामी पुरुषों के ; कर्मण: = कर्मका (ही) ; इष्टम् = अच्छा ; अनिष्टम् = बुरा ; च = और ; मिश्रम् = मिला हुआ ; (इति) = ऐसे ; त्रिविधम् = तीन प्रकार का ; फलम् = फल ; प्रेत्य = मरने का पश्र्चात् (भी) ; भवति = होता है ; तु =और ; | अत्यागिनाम् = सकामी पुरुषों के ; कर्मण: = कर्मका (ही) ; इष्टम् = अच्छा ; अनिष्टम् = बुरा ; च = और ; मिश्रम् = मिला हुआ ; (इति) = ऐसे ; त्रिविधम् = तीन प्रकार का ; फलम् = फल ; प्रेत्य = मरने का पश्र्चात् (भी) ; भवति = होता है ; तु =और ; सन्न्यासिनाम् = त्यागी पुरुषों के (कर्मों का फल) ; कचित् = किसी काल में भी ; न = नहीं होता ; | ||
|- | |- | ||
|} | |} |
Revision as of 13:53, 2 May 2015
गीता अध्याय-18 श्लोक-12 / Gita Chapter-18 Verse-12
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
||||