प्रांगण:मुखपृष्ठ/भाषा: Difference between revisions

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*'''केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय''' ने लिपि के मानकीकरण पर अधिक ध्यान दिया और '[[देवनागरी लिपि]]' तथा 'हिन्दी वर्तनी का मानकीकरण' (1983 ई.) का प्रकाशन किया।  '''[[हिन्दी|.... और पढ़ें]]'''
*'''केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय''' ने लिपि के मानकीकरण पर अधिक ध्यान दिया और '[[देवनागरी लिपि]]' तथा 'हिन्दी वर्तनी का मानकीकरण' (1983 ई.) का प्रकाशन किया।  '''[[हिन्दी|.... और पढ़ें]]'''
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| style="border:1px solid #a6d4f7;padding:10px; background:#f4faff" valign="top" | <div style="padding-left:8px; background:#cce9ff; border:thin solid #a6d4f7">'''चयनित लेख'''</div>
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<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[पुराण]]'''</div>
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*पुराणों की रचना वैदिक काल के काफ़ी बाद की है, ये स्मृति विभाग में रखे जाते हैं। पुराणों को '''मनुष्य के भूत, भविष्य, वर्तमान का दर्पण''' भी कहा जा सकता है।
| colspan="3" | <div style="padding-left:5px; background:#bee3ff">'''चयनित चित्र'''</div>
*पुराणों में हिन्दू देवी-देवताओं का और पौराणिक मिथकों का बहुत अच्छा वर्णन है। इनकी '''भाषा सरल और कथा कहानी''' की तरह है।
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*पुराण वस्तुतः वेदों का विस्तार हैं। वेद बहुत ही जटिल तथा शुष्क भाषा-शैली में लिखे गए हैं। [[वेदव्यास]] जी ने पुराणों की रचना और पुनर्रचना की।
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*पुराण शब्द ‘पुरा’ एवं ‘अण’ शब्दों की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ -‘पुराना’ अथवा ‘प्राचीन’ होता है। ‘पुरा’ शब्द का अर्थ है - अनागत एवं अतीत और ‘अण’ शब्द का अर्थ होता है- कहना या बतलाना।
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*संसार की रचना करते समय [[ब्रह्मा]] जी ने एक ही पुराण की रचना की थी। जिसमें एक '''अरब श्लोक''' थे। यह पुराण बहुत ही विशाल और कठिन था। '''[[पुराण|.... और पढ़ें]]'''
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<div style="padding-left:8px; background:#ccf4d7; border:thin solid #afeac0">'''भाषा श्रेणी वृक्ष'''</div>
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<categorytree mode=pages>भाषा और लिपि</categorytree>
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Revision as of 04:27, 10 December 2010

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♦ यहाँ आप भारत के विभिन्न धर्मों से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
♦ भारतीय संस्कृति की मूल विशेषता यह रही है कि व्यक्ति अपनी परिस्थितियों के अनुरूप मूल्यों की रक्षा करते हुए कोई भी मत, विचार अथवा धर्म अपना सकता है।

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♦ यहाँ हिन्दू धर्म के अगणित रूपों और संप्रदायों के अतिरिक्त, बौद्ध, जैन, सिक्ख, इस्लाम, ईसाई, यहूदी आदि धर्मों की विविधता का भी एक सांस्कृतिक समायोजन देखने को मिलता है।
♦ आध्यात्मिकता हमारी संस्कृति का प्राणतत्त्व है। इनमें ऐहिक अथवा भौतिक सुखों की तुलना में आत्मिक अथवा पारलौकिक सुख के प्रति आग्रह देखा जा सकता है।

विशेष आलेख
  • हिन्दी भारतीय गणराज की राजकीय और मध्य भारतीय आर्य भाषा है।
  • सन 1991 ई. की जनगणना के अनुसार, 23.342 करोड़ भारतीय हिन्दी का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं, जबकि लगभग 33.727 करोड़ लोग इसकी लगभग 50 से अधिक बोलियों में से एक इस्तेमाल करते हैं।
  • हिंदी की प्रमुख बोलियों में अवधी, भोजपुरी, ब्रज भाषा, छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, हरियाणवी, कुमांऊनी, मागधी और मारवाड़ी शामिल हैं।
  • हिन्दी की आदि जननि संस्कृत है। संस्कृत पालि, प्राकृत भाषा से होती हुई अपभ्रंश तक पहुँचती है।
  • हिन्दी के आधुनिक काल में प्रारम्भ में एक ओर उर्दू का प्रचार होने और दूसरी ओर काव्य की भाषा ब्रजभाषा होने के कारण खड़ी बोली को अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ा।
  • भाषा के सर्वागीण मानकीकरण का प्रश्न सबसे पहले 1950 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग ने ही उठाया।
  • संविधान सभा में हिन्दी को राजभाषा बनाने का प्रस्ताव गोपाल स्वामी आयंगर ने रखा। संविधान सभा में राजभाषा के नाम पर हुए मतदान में हिन्दुस्तानी के 77 वोट तथा हिन्दी को 78 वोट मिले।
  • केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय ने लिपि के मानकीकरण पर अधिक ध्यान दिया और 'देवनागरी लिपि' तथा 'हिन्दी वर्तनी का मानकीकरण' (1983 ई.) का प्रकाशन किया। .... और पढ़ें
चयनित चित्र

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