गीता 7:26

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 13:46, 6 September 2017 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replacement - "होनेवाले" to "होने वाले")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

गीता अध्याय-7 श्लोक-26 / Gita Chapter-7 Verse-26

प्रसंग-


श्रद्धा-भक्ति रहित मूढ मनुष्यों में से कोई भी भगवान् को नहीं जानता, इसमें क्या कारण है? यही बतलाने के लिये भगवान् कहते हैं-


वेदाहं समतीतानि वर्तमानानि चार्जुन ।
भविष्याणि च भूतानि मां तु वेद न कश्चन ।।26।।



हे अर्जुन[1] ! पूर्व में व्यतीत हुए और वर्तमान में स्थित तथा आगे होने वाले सब भूतों को मैं जानता हूँ, परंतु मुझको कोई भी श्रद्धा-भक्ति रहित पुरुष नहीं जानता ।।26।।

Arjuna, I know all beings, past as well as present, nay, even those that are yet to come; but none( devoid of faith and reverence)knows me. (26)


अर्जुन = हे अर्जुन ; समतीतानि = पूर्व में व्यतीत हुए ; च = तथा ; भविष्याणि = आगे होने वाले ; भूतानि = सब भूतों को ; अहम् = मैं ; वेद = जानता हूं ; च = और ; वर्तमानानि = वर्तमान में स्थित ; तु = परन्तु ; माम् = मेरे को ; कश्र्चन = कोई भी (श्रद्धाभक्तिरहित पुरुष) ; न = नहीं ; वेद = जानता है



अध्याय सात श्लोक संख्या
Verses- Chapter-7

1 | 2 | 3 | 4, 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29, 30

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत के मुख्य पात्र है। वे पाण्डु एवं कुन्ती के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। द्रोणाचार्य के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। द्रौपदी को स्वयंवर में भी उन्होंने ही जीता था।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः