इस प्रकार गीताशास्त्र की स्मृति का महत्व बतलाकर अब <balloon link="संजय " title="संजय को दिव्य दृष्टि का वरदान था । जिससे महाभारत युद्ध में होने वाली घटनाओं का आँखों देखा हाल बताने में संजय, सक्षम था । श्रीमद् भागवत् गीता का उपदेश जो कृष्ण ने अर्जुन को दिया, वह भी संजय द्वारा ही सुनाया गया । ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">संजय</balloon> अपनी स्थिति का वर्णन करते हुए भगवान् के विराट् स्वरूप की स्मृति का महत्व दिखलाते हैं
तच्च संस्मृत्य संस्मृत्य रूपमत्यद्भुतं हरे: । विस्मयो मे महाराजन्हृष्यामि च पुन: पुन: ।।77।।
हे राजन् ! श्रीहरि के उस अत्यन्त विलक्षण रूप को पुन:-पुन: स्मरण करके मेरे चित्त में महान आश्चर्य होता है और मैं बार-बार हर्षित हो रहा हूँ ।।77।।
Remembering also, again and again, that most wonderful Form of Sri Krishna, great is my wonder and I rejoice over and over again.(77)
राजन् = हे राजन्; हरे: = श्रीहरि के; तत् = उस; अति = अति; अद्भुतम् = अद्भुत; रूपम् = रूप को; संस्मृत्य = पुन: पुन: स्मरण करके; मे = मेरे; महान = महान; विस्मय: = आश्चर्य; पुन: पुन: = बारम्बार; हृष्यामि = हर्षित होता हूं