उत्तरा

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  • राजा विराट की पुत्री थीं।
  • जब पाण्डव अज्ञातवास कर रहे थे, उस समय अर्जुन वृहन्नला नाम ग्रहण करके रह रहे थे।
  • वृहन्नला ने उत्तरा को नृत्य, संगीत आदि की शिक्षा दी थी।
  • जिस समय कौरवों ने राजा विराट की गायें हस्तगत कर ली थीं, उस समय अर्जुन ने कौरवों से युद्ध करके अर्पूव पराक्रम दिखाया था।
  • अर्जुन की उस वीरता से प्रभावित होकर राजा विराट ने अपनी कन्या उत्तरा का विवाह अर्जुन से करने का प्रस्ताव रखा था किन्तु अर्जुन ने यह कहकर कि उत्तरा उनकी शिष्या होने के कारण उनकी पुत्री के समान थी, उस सम्बन्ध को अस्वीकार कर दिया था।
  • कालान्तर में उत्तरा का विवाह अभिमन्यु के साथ सम्पन्न हुआ था।
  • चक्रव्यूह तोड़ने के लिए जाने से पूर्व अभिमन्यु अपनी पत्नी से विदा लेने गया था।
  • उस समय उसने अभिमन्यु से प्रार्थना की थी- 'हे उत्तरा के धन रहो तुम उत्तरा के पास ही' (जयद्रथ वध: मैथिलीशरण गुप्त, तृतीय सर्ग)।
  • परीक्षित का जन्म इन्हीं की कोख से अभिमन्यु की मृत्य के बाद हुआ था।


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