यच्चापि सर्वभूतानां बीजं तदहमर्जुन । न तदस्ति विना यत्स्यान्मया भूतं चराचरम् ।।39।।
और हे अर्जुन[1] ! जो सब भूतों की उत्पत्ति का कारण है, वह भी मैं ही हूँ; क्योंकि ऐसा चर और अचर कोई भी भूत नहीं है, जो मुझसे रहित हो ।।39।।
Arjuna, I am even that which is the seed of all life. For there is no creature, moving or inert, which exists without Me. (39)
यत् = जो; सर्वभूतानाम् = सब भूतोंकी; बीजम् = उत्पत्ति का कारण है; तत् = वह; (एव) = ही(हूं); (यतJ = क्योंकि (ऐसा); चराचरम् = चर और अचर(कोई भी); भूतम् =भूत; यत् = जो; मया = मेरे से; विना = रहित; स्यात् = होवे
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