यस्मात्क्षरमतीतोऽहमक्षरादपि चोत्तम: । अतोऽस्मि लोके वेदे च प्रथित: पुरुषोत्तम: ।।18।।
क्योंकि मैं नाशवान् जडवर्ग क्षेत्र से तो सर्वथा अतीत हूँ और अविनाशी जीवात्मा से भी उत्तम हूँ, इसलिये लोक में और वेद[1] में भी पुरुषोत्तम नाम से प्रसिद्ध हूँ ।।18।।
Since I am wholly beyond the perishable world of matter of Ksetra, and am superior even to the imperishable soul, hence I am known as the Purusottama in the world as well as in the Vedas. (18)
यस्मात् = क्योंकि ; अहमृ = मैं ;क्षरम् = नाशवान् जडवर्ग क्षेत्र से तो ; अतीत: = सर्वथा अतीत हूं ; च = और (माया में स्थित) ; पुरुषोत्तम: = पुरुषोत्तम (नाम से) ; अक्षरात् = अविनाशी जीवात्मा से ; अपि = भी ; उत्तम: = उत्तम हूं ; अत: = इसलिये ; लोके = लोक में ; च = और ; वेदे = वेद में (भी) ;प्रथित: = प्रसिद्ध ; अस्मि = हूं ;