मनुष्यों की वह शास्त्रीय संस्कारों से रहित केवल स्वभाव से उत्पन्न श्रद्धा सात्विकी और राजसी तथा तामसी- ऐसे तीनों प्रकार की ही होती है ।
उसको तू मुझसे सुन ।।2।।
Shri Bhagavan said-
According to the modes of nature acquired by the embodied soul, one's faith can be of three kinds-goodness, passion or ignorance. Now hear about these.(2)
देहिनाम् = मनुष्यों की ; सा = वह (बिना शास्त्रीय संस्कारों के केवल) ; स्वभावजा = स्वभाव से उत्पन्न हुई ; श्रद्धा = श्रद्धा ; सात्त्विकी = सात्त्विकी ; = च = और ; राजसी =राजसी ; च = तथा ; तामसी = तामसी ; इति = ऐसे ; त्रिविधा = तीनों प्रकार की ; एव = ही; भवति =होती है ; ताम् = उसको (तूं) ; (मत्त:) = मेरे से श्रृणु = सुन
↑'गीता' कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है।