अब तामस तप के लक्षण बतलाते हैं, जो कि सर्वथा त्याज्य हैं-
मूढग्राहेणात्मनो यत्पीडया क्रियते तप: । परस्योत्सादनार्थं वा तत्तामसमुदाहृतम् ।।19।।
जो तप मूढतापूर्वक हठ से, मन, वाणी और शरीर की पीड़ा के सहित अथवा दूसरे का अनिष्ट करने के लिये किया जाता है- वह तप तामस कहा गया है ।।19।।
Austerity which is practised through perversity and is accompanied with self-mortification or is intended to harm others, such austerity has been declared as Tamasika (19)
यत् = जो ; तप: = तप ; मूढग्राहेण = मूढतापूर्वक हठसे ; आत्मन: = मन वाणी और शरीर की ; पीडया = पीडा के सहित ; वा = अथवा ; परस्य = दूसरे का ; उत्सादनार्थम् = अनिष्ट करने के लिये ; क्रियते = किया जाता है ; तत् = वह (तप) ; तामसम् = तामस ; उदाहृतम् = कहा गया है