चंदेरी का युद्ध

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चंदेरी का युद्ध 1528 ई. में मुग़लों तथा राजपूतों के मध्य लड़ा गया था। खानवा युद्ध के पश्चात् राजपूतों की शक्ति पूरी तरह नष्ट नहीं हुई थी, इसलिए बाबर ने चंदेरी का युद्ध शेष राजपूतों के खिलाफ लड़ा। इस युद्ध में राजपूतों की सेना का नेतृत्त्व मेदिनी राय ने किया। इस युद्ध में मेदिनी राय की पराजय हुई। युद्ध के पश्चात् मेदिनी राय ने बाबर की अधीनता स्वीकार कर ली और महिलायों ने जौहर को स्वीकार करके सामूहिक आत्मदाह कर लिया।

बाबर द्वारा क़िले की माँग

कहा जाता है कि खानवा युद्ध में राजपूतों को हराने के बाद बाबर कि नजर अब चंदेरी पर थी। उसने चंदेरी के तत्कालीन राजपूत राजा से वहाँ का महत्वपूर्ण क़िला माँगा और बदले में अपने जीते हुए कई क़िलों में से कोई भी क़िला राजा को देने की पेशकश की। परन्तु राजा चंदेरी का क़िला देने के लिए राजी ना हुआ। तब बाबर ने क़िला युद्ध से जीतने की चेतावनी दी। चंदेरी का क़िला आसपास की पहाड़ियों से घिरा हुआ था। यह क़िला बाबर के लिए काफ़ी महत्व का था।

मुग़लों द्वारा पहाड़ी को काटना

बाबर की सेना में हाथी, तोपें और भारी हथियार थे, जिन्हें लेकर उन पहाड़ियों के पार जाना दुष्कर था और पहाड़ियों से नीचे उतरते ही चंदेरी के राजा की फौज का सामना हो जाता, इसलिए राजा आश्वस्त व निश्चिन्त था। कहा जाता है की बाबर अपने निश्चय पर दृढ़ था और उसने एक ही रात में अपनी सेना से पहाड़ी को काट डालने का अविश्वसनीय कार्य कर डाला। उसकी सेना ने एक ही रात में एक पहाड़ी को ऊपर से नीचे तक काटकर एक ऐसी दरार बना डाली, जिससे होकर उसकी पूरी सेना और साजो-सामान ठीक क़िले के सामने पहुँच गये।

राजपूतों स्त्रियों का आत्मदाह

सुबह राजा अपने क़िले के सामने पूरी सेना को देखकर भौचक्का रह गया। परन्तु राजपूत राजा ने बिना घबराए अपने कुछ सौ सिपाहियों के साथ मुग़लों की विशाल सेना का सामना करने का निर्णय लिया। तब क़िले में सुरक्षित राजपूत स्त्रियों ने आक्रमणकारी सेना से अपमानित होने की बजाये स्वयं को ख़त्म करने का निर्णय लिया। एक विशाल चिता का निर्माण किया और सभी स्त्रियों ने सुहागनों का श्रृंगार धारण करके स्वयं को उस चिता के हवाले कर दिया।

संधि

जब बाबर और उसकी सेना क़िले के अन्दर पहुँची तो उसके हाथ कुछ ना आया। राजपूतों का शौर्य और राजपूत स्त्रियों के जौहर के इस अविश्वसनीय कृत्य से वह इतना बोखलाया कि उसने खुद के लिए इतने महत्त्वपूर्ण क़िले का संपूर्ण विध्वंस करवा दिया तथा कभी उसका उपयोग नहीं किया। युद्ध में राजपूत सेना की हार हुई। राजा मेदिनी राय ने बाबर से संधि कर उसकी अधीनता को स्वीकार कर लिया और संधि के अनुसार मेदिनी राय की दो पुत्रियों का विवाह बाबर के पुत्र कामरान एवं हुमायूँ से कर दिया गया।


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