गीता 1:15: Difference between revisions
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< | [[श्रीकृष्ण]]<ref>'गीता' कृष्ण द्वारा [[अर्जुन]] को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान [[विष्णु]] के [[अवतार]] माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे [[भारत]] में किसी न किसी रूप में की जाती है।</ref> महाराज ने पाज्चजन्य नामक, [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के वह तीसरे पुत्र थे। अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वह [[द्रोणाचार्य]] का सबसे प्रिय शिष्य था। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में जीतने वाला भी वही था।</ref> ने देवदत्त नामक और भयानक कर्म वाले [[भीम]]<ref>[[पाण्डु]] के पाँच में से दूसरी संख्या के पुत्र का नाम [[भीम]] अथवा भीमसेन था। भीम में दस हज़ार [[हाथी|हाथियों]] का बल था और वह [[गदा शस्त्र|गदा]] युद्ध में पारंगत था।</ref> ने पौण्ड्र नामक महाशंख बजाया ।।15।। | ||
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Latest revision as of 11:48, 3 January 2013
गीता अध्याय-1 श्लोक-15 / Gita Chapter-1 Verse-15
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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