गीता 3:38: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
m (Text replace - "<td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>" to "<td> {{गीता2}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td>") |
No edit summary |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<table class="gita" width="100%" align="left"> | <table class="gita" width="100%" align="left"> | ||
<tr> | <tr> | ||
Line 9: | Line 8: | ||
'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
---- | ---- | ||
पूर्व श्लोक में 'तेन' पद 'काम' का और 'इदम्' पद 'ज्ञान' का वाचक है- इस बात को स्पष्ट करते हुए उस काम को अग्नि की भाँति कभी पूर्ण न होने वाला बतलाते हैं- | पूर्व [[श्लोक]] में 'तेन' पद 'काम' का और 'इदम्' पद 'ज्ञान' का वाचक है- इस बात को स्पष्ट करते हुए उस काम को अग्नि की भाँति कभी पूर्ण न होने वाला बतलाते हैं- | ||
---- | ---- | ||
<div align="center"> | <div align="center"> | ||
Line 22: | Line 21: | ||
|- | |- | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
जिस प्रकार धुएँ से अग्नि और मैल से दर्पण ढका जाता है तथा जिस प्रकार जेर से गर्भ ढका रहता है, वैसे ही उस काम के द्वारा यह ज्ञान ढका रहता है ।।38।। | जिस प्रकार धुएँ से [[अग्नि]] और मैल से दर्पण ढका जाता है तथा जिस प्रकार जेर से गर्भ ढका रहता है, वैसे ही उस काम के द्वारा यह ज्ञान ढका रहता है ।।38।। | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
Line 56: | Line 55: | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{गीता2}} | {{गीता2}} | ||
</td> | </td> |
Latest revision as of 10:51, 4 January 2013
गीता अध्याय-3 श्लोक-38 / Gita Chapter-3 Verse-38
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
||||