गीता 6:35: Difference between revisions
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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भगवान् ने मन को वश में करने के उपाय | भगवान् ने मन को वश में करने के उपाय बतलाये। यहाँ यह जिज्ञासा होती है कि मन को वश में न किया जाय तो क्या हानि है? इस पर भगवान् कहते हैं- | ||
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<div align="center"> | <div align="center"> | ||
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'''श्रीभगवान् बोले-''' | '''श्रीभगवान् बोले-''' | ||
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हे < | हे महाबाहो<ref>पार्थ, भारत, धनंजय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी [[अर्जुन]] के सम्बोधन है।</ref> ! नि:सन्देह मन चंचल और कठिनता से वश में होने वाला है; परंतु हे [[कुन्ती]]<ref>ये [[वसुदेव|वसुदेवजी]] की बहन और भगवान [[श्रीकृष्ण]] की बुआ थीं। [[महाभारत]] में महाराज [[पाण्डु]] की ये पत्नी थीं।</ref> पुत्र [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> ! यह अभ्यास और वैराग्य से वश में होता है ।।35।। | ||
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'''Shri Bhagavan said:''' | '''Shri Bhagavan said:''' | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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Latest revision as of 06:41, 5 January 2013
गीता अध्याय-6 श्लोक-35 / Gita Chapter-6 Verse-35
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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