गीता 10:37: Difference between revisions
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वृष्णिवंशियों में < | वृष्णिवंशियों में वासुदेव<ref>मधुसूदन, केशव, पुरुषोत्तम, वासुदेव, माधव, जनार्दन और वार्ष्णेय सभी भगवान् [[कृष्ण]] का ही सम्बोधन है।</ref> अर्थात् मैं स्वयं तेरा सखा, [[पाण्डव|पाण्डवों]]<ref>पांडव [[कुन्ती]] के पुत्र थे। इनके नाम [[युधिष्ठर]], [[भीम]], [[अर्जुन]], [[नकुल]] और [[सहदेव]] थे।</ref> में धनंजय<ref>पार्थ, भारत, धनंजय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी [[अर्जुन]] के सम्बोधन है।</ref> अर्थात् तू, मुनियों में [[वेदव्यास]]<ref>भगवान व्यास भगवान नारायण के ही कलावतार थे। व्यास जी के पिता का नाम [[पाराशर]] ऋषि तथा माता का नाम [[सत्यवती]] था।</ref> और कवियों में [[शुक्राचार्य]]<ref>शुक्राचार्य दैत्यों के आचार्य के रूप में प्रसिद्ध हैं।</ref> कवि भी मैं ही हूँ ।।37।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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Latest revision as of 13:59, 5 January 2013
गीता अध्याय-10 श्लोक-37 / Gita Chapter-10 Verse-37
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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