गीता 9:25: Difference between revisions
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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भगवान् के भक्त आवागमन को प्राप्त नहीं होते और अन्य | भगवान् के [[भक्त]] आवागमन को प्राप्त नहीं होते और अन्य [[देवता|देवताओं]] के उपासक आवागमन को प्राप्त होते हैं, इसका क्या कारण है? इस जिज्ञासा पर उपास्य के स्वरूप और उपासक के भाव से उपासना के फल में भेद होने का नियम बतलाते हैं- | ||
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देवताओं को पूजने वाले देवताओ को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं, और मेरा पूजन करने वाले भक्त मुझको ही प्राप्त होते | देवताओं को पूजने वाले देवताओ को प्राप्त होते हैं, [[पितर|पितरों]] को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं, और मेरा पूजन करने वाले [[भक्त]] मुझको ही प्राप्त होते हैं। इसीलिये मेरे भक्तों का [[पुनर्जन्म]] नहीं होता ।।25।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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Latest revision as of 11:04, 5 January 2013
गीता अध्याय-9 श्लोक-25 / Gita Chapter-9 Verse-25
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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