गीता 1:15: Difference between revisions

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Latest revision as of 11:48, 3 January 2013

गीता अध्याय-1 श्लोक-15 / Gita Chapter-1 Verse-15

पाज्चजन्यं ह्रषीकेशो देवदत्तं धनंजय: ।
पौण्ड्रं दध्मौ महाशख्ङं भीमकर्मा वृकोदर: ।।15।।



श्रीकृष्ण[1] महाराज ने पाज्चजन्य नामक, अर्जुन[2] ने देवदत्त नामक और भयानक कर्म वाले भीम[3] ने पौण्ड्र नामक महाशंख बजाया ।।15।।

Then, Lord Krishna blew his conchshell, called Panchajanya; Arjuna blew his, the Devadatta; and Bhima, the voracious eater and performer of Herculean tasks, blew his terrific conchshell called Paundram.(15)


हषीकेश: = श्रीकृष्ण महाराज ने; पाज्जन्यम् = पाज्जन्य नामक शंख ; धनंजय: = अर्जुन ने; देवदत्तम् = देवदत्त नामक शंख (बजाया); भीमकर्मा =भयानक कर्मवाले; वृकोदर: = भीमसेन ने; पौणड्रम् = पौण्ड्रम नामक; दध्मौ =बजाया;



अध्याय एक श्लोक संख्या
Verses- Chapter-1

1 | 2 | 3 | 4, 5, 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17, 18 | 19 | 20, 21 | 22 | 23 | 24, 25 | 26 | 27 | 28, 29 | 30 | 31 | 32 | 33, 34 | 35 | 36 | 37 | 38, 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 'गीता' कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है।
  2. महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे। अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वह द्रोणाचार्य का सबसे प्रिय शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला भी वही था।
  3. पाण्डु के पाँच में से दूसरी संख्या के पुत्र का नाम भीम अथवा भीमसेन था। भीम में दस हज़ार हाथियों का बल था और वह गदा युद्ध में पारंगत था।

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