ख़ुसरो मिर्ज़ा: Difference between revisions
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*ख़ुर्रम ([[शाहजहाँ]]) ने अपने दक्षिण अभियान के समय ख़ुसरो को अपने साथ ले जाकर 1621 ई. में उसकी हत्या करवा दी। | *ख़ुर्रम ([[शाहजहाँ]]) ने अपने दक्षिण अभियान के समय ख़ुसरो को अपने साथ ले जाकर 1621 ई. में उसकी हत्या करवा दी। | ||
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[[चित्र:Jahangir-Khusrau-Parviz.jpg|thumb|250px|जहाँगीर अपने पुत्र ख़ुसरो मिर्ज़ा और शहज़ादा परवेज़ के साथ]] जहाँगीर के पाँच पुत्र थे -
- सबसे बड़ा पुत्र ख़ुसरो, जो 'मानबाई' से उत्पन्न हुआ था, रूपवान, गुणी और वीर था। अपने अनेक गुणों में वह अकबर के समान था, इसलिए बड़ा लोकप्रिय था। अकबर भी अपने उस पौत्र को बड़ा प्यार करता था।
- जहाँगीर के कुकृत्यों से जब अकबर बड़ा दुखी हो गया, तब अपने अंतिम काल में उसने ख़ुसरो को अपना उत्तराधिकारी बनाने का विचार किया था। फिर बाद में सोच-विचार करने पर अकबर ने जहाँगीर को ही अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था।
- ख़ुसरो के मन में बादशाह बनने की लालसा पैदा हुई थी। अपने मामा मानसिंह एवं ससुर मिर्ज़ा अजीज कोका की शह पर अप्रैल, 1606 ई. में अपने पिता जहाँगीर के विरुद्ध उसने विद्रोह कर दिया।
- जहाँगीर ने ख़ुसरो को आगरा के क़िले में नज़रबंद रखा, परन्तु ख़ुसरो अकबर के मक़बरे की यात्रा के बहाने भाग निकला।
- लगभग 12000 सैनिकों के साथ ख़ुसरों एवं जहाँगीर की सेना का मुक़ाबला जालंधर के निकट ‘भैरावल’ के मैदान में हुआ। ख़ुसरों को पकड़ कर क़ैद में डाल दिया गया।
- सिक्खों के पाँचवें गुरु अर्जुनदेव को जहाँगीर ने फांसी दिलवा दी, क्योंकि उन्होंने विद्रोह के समय ख़ुसरो की सहायता की थी। *कालान्तर में ख़ुसरो द्वारा जहाँगीर की हत्या का षड्यन्त्र रचने के कारण, उसे अन्धा करवा दिया गया।
- ख़ुर्रम (शाहजहाँ) ने अपने दक्षिण अभियान के समय ख़ुसरो को अपने साथ ले जाकर 1621 ई. में उसकी हत्या करवा दी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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