त्रिशूल अस्त्र: Difference between revisions
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'''त्रिशूल | '''त्रिशूल''' प्राचीन भारतीय अस्त्र है। इस अस्त्र का नाम कई [[हिन्दू]] देवी-देवताओं के साथ जोड़ा जाता है। [[महाभारत]] के युद्ध में भी त्रिशूल का प्रयोग बहुत किया है। | ||
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*त्रिशूल देवी दुर्गा के हाथों में भी शोभा पाता है। विशेषकर उनके महिषासुर मर्दिनी रूप में। वे इससे महिषासुर राक्षस को मारती हुई दिखाई देतीं हैं। | |||
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30px यह लेख पौराणिक ग्रंथों अथवा मान्यताओं पर आधारित है अत: इसमें वर्णित सामग्री के वैज्ञानिक प्रमाण होने का आश्वासन नहीं दिया जा सकता। विस्तार में देखें अस्वीकरण |
ताम्र त्रिशूल|thumb|150px त्रिशूल प्राचीन भारतीय अस्त्र है। इस अस्त्र का नाम कई हिन्दू देवी-देवताओं के साथ जोड़ा जाता है। महाभारत के युद्ध में भी त्रिशूल का प्रयोग बहुत किया है।
- त्रिशूल का नाम मुख्य रूप से भगवान शिव और देवी दुर्गा के साथ जोड़ा जाता है।
- यह एक परंपरागत भारतीय हथियार है। इसका एक हिन्दु धार्मिक चिन्ह की तरह भी प्रयोग होता है।
- त्रिशूल अस्त्र तीन चोंच वाला धात्विक सिर का भाला या हथियार होता है, जो कि लकडी़ या बांस के डंडे पर भी लगा हो सकता है। यह हिन्दु भगवान शिव के हाथ में शोभा पाता है।
- त्रिशूल के तीन सिरों के कई अर्थ लगाए जाते हैं-
- यह त्रिगुण मई सृष्टि का परिचायक है।
- तीन गुण 'सत्व', 'रज' तथा 'तम' का यह परिचायक है।
- यह त्रिदेव का परिचायक है।[1]
- त्रिशूल देवी दुर्गा के हाथों में भी शोभा पाता है। विशेषकर उनके महिषासुर मर्दिनी रूप में। वे इससे महिषासुर राक्षस को मारती हुई दिखाई देतीं हैं।
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संबंधित लेख
- ↑ यद्यपि यह अर्थ कुछ उचित प्रतीत नहीं होता है।