गीता 3:28: Difference between revisions
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इस प्रकार कर्मासक्त मनुष्यों की और सांख्ययोगी की स्थिति का भेद बतलाकर अब आत्म | इस प्रकार कर्मासक्त मनुष्यों की और सांख्ययोगी की स्थिति का भेद बतलाकर अब आत्म तत्त्व को पूर्णतया समझाने वाले महापुरुष के लिये यह प्रेरणा की जाती है कि वह कर्मासक्त अज्ञानी मनुष्यों को विचलित न करे – | ||
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Revision as of 06:59, 17 January 2011
गीता अध्याय-3 श्लोक-28 / Gita Chapter-3 Verse-28
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