गीता 3:29: Difference between revisions
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इस प्रकार कर्मों की अवश्य-कर्तव्यता का प्रतिपादन करके अब भगवान् <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर | इस प्रकार कर्मों की अवश्य-कर्तव्यता का प्रतिपादन करके अब भगवान् <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था। | ||
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> की दूसरे श्लोक में की हुई प्रार्थना के अनुसार उसे परम कल्याण की प्राप्ति का ऐकान्तिक और सर्वश्रेष्ठ निश्चित साधन बतलाते हुए युद्ध के लिये आज्ञा देते हैं- | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> की दूसरे श्लोक में की हुई प्रार्थना के अनुसार उसे परम कल्याण की प्राप्ति का ऐकान्तिक और सर्वश्रेष्ठ निश्चित साधन बतलाते हुए युद्ध के लिये आज्ञा देते हैं- | ||
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Revision as of 07:51, 20 February 2011
गीता अध्याय-3 श्लोक-29 / Gita Chapter-3 Verse-29
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