अमरकोट: Difference between revisions

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'''अमरकोट''' वर्तमान पश्चिमी [[पाकिस्तान]] के [[सिंध प्रांत|सिन्ध]] का एक नगर है, जो [[मध्यकाल]] में एक राज्य था।
'''अमरकोट''' वर्तमान पश्चिमी [[पाकिस्तान]] के [[सिन्ध प्रांत|सिन्ध प्रान्त]] का एक नगर है, जो [[मध्य काल]] में एक राज्य था। यह [[दिल्ली]] से सिंध जाने वाले मार्ग पर ज़िला थरपारकर का मुख्य स्थान है। 1542 ई. में जब दुर्भाग्यवश [[हुमायूँ]] और हमीदा बेगम दुश्मनों से बचकर यहाँ भागते हुए आए थे, तो भावी [[मुग़ल]] सम्राट [[अकबर]] का जन्म रविवार, [[15 अक्टूबर]], 1542 ई. को इसी स्थान पर हुआ था।
*[[हुमायूँ]] जब राज्यहीन होकर संरक्षण एवं आश्रय के लिए दर-दर भटक रहा था, तब ऐसी हीन एवं नैराश्यपूर्ण दुरावस्था में अमरकोट के राजपूत शासक राणा वीरसाल ने उसे शरण दी थी।
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*इस घटना का सूचक एक 'प्रस्तर-स्तम्भ' आज भी अमरकोट में गड़ा हुआ है।


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*हुमायूँ जब राज्यहीन होकर संरक्षण एवं आश्रय के लिए दर-दर भटक रहा था, तब ऐसी हीन एवं नैराश्यपूर्ण दुरावस्था में अमरकोट के [[राजपूत]] शासक राणा वीरसाल ने उसे शरण दी थी।
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*इस घटना का सूचक एक प्रस्तर स्तंभ आज भी अकबर के जन्म स्थान पर गड़ा हुआ है।
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*इस समय हुमायूँ अकिंचन था और उसने अपने साथियों को इस शुभ समाचार को सुनने के पश्चात् कस्तूरी के कुछ टुकड़े बांट दिए और कहा कि कस्तूरी कि सुगन्ध की भांति ही बालक का यश:सौरभ संसार में भर जाए।
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Revision as of 12:35, 13 May 2012

अमरकोट वर्तमान पश्चिमी पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त का एक नगर है, जो मध्य काल में एक राज्य था। यह दिल्ली से सिंध जाने वाले मार्ग पर ज़िला थरपारकर का मुख्य स्थान है। 1542 ई. में जब दुर्भाग्यवश हुमायूँ और हमीदा बेगम दुश्मनों से बचकर यहाँ भागते हुए आए थे, तो भावी मुग़ल सम्राट अकबर का जन्म रविवार, 15 अक्टूबर, 1542 ई. को इसी स्थान पर हुआ था।

  • हुमायूँ जब राज्यहीन होकर संरक्षण एवं आश्रय के लिए दर-दर भटक रहा था, तब ऐसी हीन एवं नैराश्यपूर्ण दुरावस्था में अमरकोट के राजपूत शासक राणा वीरसाल ने उसे शरण दी थी।
  • अमरकोट के दुर्ग में ही सन 1542 ई. में अकबर का जन्म हुआ था।
  • इस घटना का सूचक एक प्रस्तर स्तंभ आज भी अकबर के जन्म स्थान पर गड़ा हुआ है।
  • कहा जाता है कि पुत्र के जन्म का समाचार हुमायूँ को उस समय मिला जब वह अमरकोट से कुछ दूरी पर ठहरा हुआ था।
  • इस समय हुमायूँ अकिंचन था और उसने अपने साथियों को इस शुभ समाचार को सुनने के पश्चात् कस्तूरी के कुछ टुकड़े बांट दिए और कहा कि कस्तूरी कि सुगन्ध की भांति ही बालक का यश:सौरभ संसार में भर जाए।
  • हुमायूँ का यह आशीर्वाद आगे चलकर भविष्यवाणी सिद्ध हुआ और अकबर एक महान बादशाह बना।


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