गीता 4:22: Difference between revisions
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यहाँ यह प्रश्न उठता है कि उपर्युक्त प्रकार से किये हुए कर्म बन्धन के हेतु नहीं बनते , इतनी ही बात है या उनका और भी कुछ महत्त्व है। इस पर कहते है- | यहाँ यह प्रश्न उठता है कि उपर्युक्त प्रकार से किये हुए कर्म बन्धन के हेतु नहीं बनते, इतनी ही बात है या उनका और भी कुछ महत्त्व है। इस पर कहते है- | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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Latest revision as of 12:28, 4 January 2013
गीता अध्याय-4 श्लोक-22/ Gita Chapter-4 Verse-22
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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