गीता 4:24: Difference between revisions
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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इस प्रकार < | इस प्रकार [[ब्रह्मा]]<ref>सर्वश्रेष्ठ पौराणिक त्रिदेवों में ब्रह्मा, [[विष्णु]] एवं [[शिव]] की गणना होती है। इनमें ब्रह्मा का नाम पहले आता है, क्योंकि वे विश्व के आद्य सृष्टा, प्रजापति, पितामह तथा हिरण्यगर्भ हैं।</ref> कर्मरूप [[यज्ञ]] का वर्णन करके अब अगले [[श्लोक]] में [[देव]] पूजन रूप यज्ञ का और [[आत्मा]]-परमात्मा के अभेद दर्शन रूप यज्ञ का वर्णन करते हैं- | ||
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जिस यज्ञ में अर्पण अर्थात् स्त्रुवा आदि भी ब्रह्मा है और हवन किये जाने योग्य द्रव्य भी ब्रह्मा हैं तथा ब्रह्मरूप कर्ता के द्वारा ब्रह्मरूप अग्नि में आहुति देना रूप क्रिया भी ब्रह्म है- उस ब्रह्म कर्म में स्थित रहने वाले योगी द्वारा प्राप्त किये जाने योग्य फल भी | जिस [[यज्ञ]] में अर्पण अर्थात् स्त्रुवा आदि भी ब्रह्मा है और हवन किये जाने योग्य द्रव्य भी ब्रह्मा हैं तथा ब्रह्मरूप कर्ता के द्वारा ब्रह्मरूप [[अग्नि]] में आहुति देना रूप क्रिया भी ब्रह्म है- उस ब्रह्म कर्म में स्थित रहने वाले योगी द्वारा प्राप्त किये जाने योग्य फल भी ब्रह्मा ही हैं ।।24।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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Revision as of 12:31, 4 January 2013
गीता अध्याय-4 श्लोक-24 / Gita Chapter-4 Verse-24
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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