गीता 6:44: Difference between revisions
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वह श्रीमानों के घर में जन्म लेने वाला योगभ्रष्ट पराधीन हुआ भी उस पहले के अभ्यास से ही नि:सन्देह भगवान् की ओर आकर्षित किया जाता है, तथा समबुद्धि रूप योग का जिज्ञासु भी < | वह श्रीमानों के घर में जन्म लेने वाला योगभ्रष्ट पराधीन हुआ भी उस पहले के अभ्यास से ही नि:सन्देह भगवान् की ओर आकर्षित किया जाता है, तथा समबुद्धि रूप योग का जिज्ञासु भी [[वेद]]<ref>वेद [[हिन्दू धर्म]] के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई।</ref> में कहे हुए सकाम कर्मों के फल को उल्लंघन कर जाता है ।।44।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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Latest revision as of 06:54, 5 January 2013
गीता अध्याय-6 श्लोक-44 / Gita Chapter-6 Verse-44
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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