गीता 17:24: Difference between revisions
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परमेश्वर के उपर्युक्त ऊँ, तत् और सत्- इन तीन नामों का यज्ञ, दान, तप आदि के साथ क्या संबंध है ? ऐसी जिज्ञासा होने पर पहले 'ऊँ' के प्रयोग की बात कहते हैं- | परमेश्वर के उपर्युक्त ऊँ, तत् और सत्- इन तीन नामों का [[यज्ञ]], दान, तप आदि के साथ क्या संबंध है? ऐसी जिज्ञासा होने पर पहले 'ऊँ' के प्रयोग की बात कहते हैं- | ||
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इसलिये वेद मन्त्रों का उच्चारण करने वाले श्रेष्ठ पुरुषों की शास्त्रविधि से नियत यज्ञ, दान और तपरूप क्रियाएँ सदा 'ऊँ' इस परमात्मा के नाम को उच्चारण करके ही आरम्भ होती हैं ।।24।। | इसलिये [[वेद]] [[मन्त्र|मन्त्रों]] का उच्चारण करने वाले श्रेष्ठ पुरुषों की शास्त्रविधि से नियत यज्ञ, दान और तपरूप क्रियाएँ सदा 'ऊँ' इस परमात्मा के नाम को उच्चारण करके ही आरम्भ होती हैं ।।24।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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Latest revision as of 13:22, 6 January 2013
गीता अध्याय-17 श्लोक-24 / Gita Chapter-17 Verse-24
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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