अटक: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
[[चित्र:Attock.jpg|thumb|150px|अटक (1888)]]
[[चित्र:Attock.jpg|thumb|150px|अटक (1888)]]
'''अटक''' [[पाकिस्तान|पश्चिमी पाकिस्तान]], का एक एक छोटा सा नगर है, जो [[सिंधु नदी]] के [[तट]] पर स्थित है।
'''अटक''' [[पाकिस्तान|पश्चिमी पाकिस्तान]], का एक एक छोटा सा नगर है, जो [[सिंधु नदी]] के [[तट]] पर स्थित है जो अपनी सीमावर्ती स्थिति तथा ऐतिहासिक दुर्ग के लिए प्रसिद्ध है।  


*प्राचीन समय में अटक को '[[हाटक]]' भी कहा जाता था।<ref>हिस्टॉरिकल ज्योग्रफी ऑफ एंशेंट इंडिया- बी.सी. लॉ, पृ. 29</ref>  
*प्राचीन समय में अटक को '[[हाटक]]' भी कहा जाता था।<ref>हिस्टॉरिकल ज्योग्रफी ऑफ एंशेंट इंडिया- बी.सी. लॉ, पृ. 29</ref>  
*अटक का सुदृढ़ [[क़िला]], जो नदी तट पर ऊंची पहाड़ी के शिखर पर स्थित है, उसे [[मुग़ल]] [[अकबर|बादशाह अकबर]] ने बनवाया था।  
*अटक का सुदृढ़ [[क़िला]], जो नदी तट पर ऊंची पहाड़ी के शिखर पर स्थित है, उसे [[मुग़ल]] [[अकबर|बादशाह अकबर]] ने बनवाया था।
* यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य अनुपम है। यहाँ पर 1883 ई. में नदी पर एक लौह पुल बना दिया गया, जिस पर से उत्तर-पश्चिमी रेलवे [[पेशावर]] तक जाती है। [[अफगानिस्तान]] तथा अन्य प्रदेशों से व्यापार के मार्ग में स्थित यह नगर अवश्य ही निकट भविष्य में उन्नति करेगा।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=85 |url=}}</ref>
*[[मध्य काल]] में अटक को [[भारत]] की पश्चिमी सीमा पर स्थित माना जाता था।
*[[मध्य काल]] में अटक को [[भारत]] की पश्चिमी सीमा पर स्थित माना जाता था।
*यह कहा जाता है कि [[मानसिंह|राजा मानसिंह]] ने अकबर द्वारा अटक के पार यूसुफजाइयों से लड़ने के लिए भेजे जाते समय वहाँ अपने जाने की सम्मति देते समय कहा था कि- "मुझे अन्य लोगों की तरह वहाँ जाने में आपत्ति नहीं है, क्योंकि 'जाके मन में अटक हैं, सो ही अटक रहा।"
*यह कहा जाता है कि [[मानसिंह|राजा मानसिंह]] ने अकबर द्वारा अटक के पार यूसुफजाइयों से लड़ने के लिए भेजे जाते समय वहाँ अपने जाने की सम्मति देते समय कहा था कि- "मुझे अन्य लोगों की तरह वहाँ जाने में आपत्ति नहीं है, क्योंकि 'जाके मन में अटक हैं, सो ही अटक रहा।"
Line 13: Line 14:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{विदेशी स्थान}}
{{विदेशी स्थान}}
[[Category:विदेशी स्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:मुग़ल साम्राज्य]][[Category:विदेशी नगर]] [[Category:ऐतिहासिक स्थानावली]]
[[Category:विदेशी स्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:मुग़ल साम्राज्य]][[Category:विदेशी नगर]] [[Category:ऐतिहासिक स्थानावली]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 07:01, 23 May 2018

thumb|150px|अटक (1888) अटक पश्चिमी पाकिस्तान, का एक एक छोटा सा नगर है, जो सिंधु नदी के तट पर स्थित है जो अपनी सीमावर्ती स्थिति तथा ऐतिहासिक दुर्ग के लिए प्रसिद्ध है।

  • प्राचीन समय में अटक को 'हाटक' भी कहा जाता था।[1]
  • अटक का सुदृढ़ क़िला, जो नदी तट पर ऊंची पहाड़ी के शिखर पर स्थित है, उसे मुग़ल बादशाह अकबर ने बनवाया था।
  • यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य अनुपम है। यहाँ पर 1883 ई. में नदी पर एक लौह पुल बना दिया गया, जिस पर से उत्तर-पश्चिमी रेलवे पेशावर तक जाती है। अफगानिस्तान तथा अन्य प्रदेशों से व्यापार के मार्ग में स्थित यह नगर अवश्य ही निकट भविष्य में उन्नति करेगा।[2]
  • मध्य काल में अटक को भारत की पश्चिमी सीमा पर स्थित माना जाता था।
  • यह कहा जाता है कि राजा मानसिंह ने अकबर द्वारा अटक के पार यूसुफजाइयों से लड़ने के लिए भेजे जाते समय वहाँ अपने जाने की सम्मति देते समय कहा था कि- "मुझे अन्य लोगों की तरह वहाँ जाने में आपत्ति नहीं है, क्योंकि 'जाके मन में अटक हैं, सो ही अटक रहा।"


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 16-17| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
  1. हिस्टॉरिकल ज्योग्रफी ऑफ एंशेंट इंडिया- बी.सी. लॉ, पृ. 29
  2. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 85 |

संबंधित लेख