ग्रन्थिक: Difference between revisions
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Revision as of 14:17, 14 September 2010
- महाभारत में पांडवों के वनवास में एक वर्ष का अज्ञात वास भी था जो उन्होंने विराट नगर में बिताया। विराट नगर में पांडव अपना नाम और पहचान छुपाकर रहे। इन्होंने राजा विराट के यहाँ सेवक बनकर एक वर्ष बिताया।
- नकुल ने अपना नाम ग्रन्थिक बताया और अपने को अश्वों का अधिकारी कहा है।
- ग्रन्थिक का अर्थ है आयुर्वेद तथा अध्वर्यु विद्या सम्बन्धी ग्रन्थों को जानने वाला।
- श्रुति में अश्विनी कुमारों को देवताओं का वैद्य तथा अध्वर्यु कहा गया है। 'अश्विनौ वै देवानां भिषजावश्विनावध्वर्यू'। नकुल अश्विनीकुमारों के पुत्र हैं; अत: उनका अपने को ग्रन्थिक कहना उपयुक्त ही है।
'नास्ति श्वो येषां ते अस्वा:'
- जिनके कलतक जीवित रहने की आशा न हो, वे अश्व है- इस व्युत्पत्ति के अनुसार जीवन की आशा छोड़कर युद्ध में डटे रहने वाले वीरों को अश्व कहते हैं।
- नकुल उनके अधिकारी अर्थात वीरों में प्रधान हैं। अत: उनका यह परिचय यथार्थ ही है।