इस प्रकार <balloon link="index.php?title=अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">
अर्जुन</balloon> के प्रश्न का उत्तर देकर अब भगवान् दो श्लोकों द्वारा युद्ध करने में सब प्रकार से लाभ दिखलाकर अर्जुन को युद्ध के लिये उत्साहित करते हुए आज्ञा देते हैं-
अतएव तू उठ ! यश प्राप्त कर और शत्रुओं को जीतकर धन-धान्य से संपन्न राज्य को भोग । ये सब शूरवीर पहले ही से मेरे ही द्वारा मारे हुए हैं हे सव्यसाचिन् ! तू तो केवल निमित्त मात्र बन जा ।।33।।
There fore, do you arise and win glory; conquering foes, enjoy the affluent kingdom. These warriors stand already slain by Me; be you only an instrument, Arjuna. (33)
उत्तिष्ठ = खड़ा हो(और); यश: = यशको; लभस्व = प्राप्त कर(तथा); शत्रून् = शत्रुओं को; समृद्धम् = धनधान्यसे सम्पत्र; मुड्क्ष्व = भोग(और); एते = यह सब(शूरवीर); पूर्वम् = पहिले से; एव = ही; मया = मेरे द्वारा; निहता: = मारे हुए हैं; सव्यसाचिन् = हे सव्यसाचिन् तूं तो; निमित्तमात्रम् = केवल निमित्त मात्र; एव = ही; भव = हो जा