गीता 11:22

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 05:49, 14 June 2011 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - "{{गीता2}}" to "{{प्रचार}} {{गीता2}}")
Jump to navigation Jump to search

गीता अध्याय-11 श्लोक-22 / Gita Chapter-11 Verse-22


रुद्रादित्या वसवो ये च साध्या
विश्वेऽश्विनौ मरूतश्चीष्मपाश्च ।
गन्धर्वयक्षासुरसिद्धसंघा
वीक्षन्ते त्वां विस्मिताश्चैव सर्वे ।।22।।



जो ग्यारह रुद्र और बारह आदित्य तथा आठ वायु, साध्यगण, विश्वेदेव, <balloon link="अश्विनीकुमार" title="अश्विनी से उत्पन्न, सूर्य के औरस पुत्र, दो वैदिक देवता थे। ये देव चिकित्सक थे। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अश्विनीकुमार</balloon> तथा मरूद्गण और पितरों का समुदाय तथा गन्धर्व, यक्ष, राक्षस और सिद्धों के समुदाय हैं- वे सब ही विस्मित होकर आपको देखते हैं ।।22।।

The different manifestations of Lord Siva, the Adityas, the Vasus, the Sadhyas, the Visvedevas, the two Asvis, the Maruts, the forefathers and the Gandharvas, the Yaksas, Asuras, and all perfected demigods are beholding You in wonder


ये = जो; स्द्रादित्या: = एकादश रुद्र और द्वादश आदित्य; वसव: = आठ वसु(और); साध्या: = साध्यगण; विश्वे = विश्वेदेव(तथा); अश्विनौ = अश्विनीकुमार; मरूत: = मरुद्रण; य = और; ऊष्मपा: = पितरों का समुदाय; च = समुदाय; गन्धर्वयक्षासुरसिद्धसंघा: = गन्धर्व यक्ष राक्षस और सिद्धगणों के समुदाय हैं; (ते) = वे; सर्वे = सब; विस्मिता: = विस्मित हुए; त्वाम् = आपको; वीक्षन्ते = देखते हैं



अध्याय ग्यारह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-11

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10, 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26, 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41, 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः