चीनभुक्ति

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चीनभुक्ति नामक नगर के विषय में विद्वानों में मतभेद है, तथा इसकी सही जानकारी का अभाव है। कुछ विद्वानों का मत है कि यह स्थान शायद कुसुर (पश्चिमी पाकिस्तान) से 27 मील (लगभग 43.2 कि.मी.) की दूरी पर उत्तर में स्थित 'पत्ती' है। इसे पहले 'चीनपत्ती'[1] भी कहते थे।[2]

  • प्रसिद्ध चीनी यात्री युवानच्वांग अपनी भारत की यात्रा के समय 633 ई. में इस स्थान पर आया था और यहाँ चौदह मास के लगभग ठहरा था। बाद में यहाँ वह जालंधर गया था।
  • इस नगर के नाम से ज्ञात होता है कि यहाँ चीनी लोगों की कोई बस्ती उस समय रही होगी।
  • ऐतिहासिक अनुश्रुति से विदित होता है कि कुषाण नरेश कनिष्क के समय[3] इस स्थान पर कुछ समय के लिए चीन से बंधक के रूप में आए हुए दूत रहे थे और इसी कारण इस स्थान का नाम 'चीनभुक्ति' पड़ गया था।
  • कहा जाता है कि इन दूतों के साथ पहली बार चीन से नाशपाती और आड़ू भारत में आए थे।
  • चीनभुक्ति की ठीक-ठीक स्थिति का पता नहीं है, किंतु प्राप्त साक्ष्य के आधार पर इस स्थान का पश्चिमी पंजाब या कश्मीर की पहाड़ियों में होना संभव प्रतीत होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. चीनभुक्ति का अपभ्रंश?
  2. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 339 |
  3. लगभग द्वितीय शती ई. का प्रारंभ

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