गीता 4:11: Difference between revisions
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यदि यह बात है, तो फिर लोग भगवान् को न भजकर अन्य देवताओं की उपासना क्यों करते हैं ? इस पर कहते हैं- | यदि यह बात है, तो फिर लोग भगवान् को न भजकर अन्य [[देवता|देवताओं]] की उपासना क्यों करते हैं ? इस पर कहते हैं- | ||
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हे < | हे [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> ! जो [[भक्त]] मुझे जिस प्रकार भजते हैं, मैं भी उनको उसी प्रकार भजता हूँ; क्योंकि सभी मनुष्य सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं ।।11।। | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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Latest revision as of 12:00, 4 January 2013
गीता अध्याय-4 श्लोक-11 / Gita Chapter-4 Verse-11
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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