गीता 13:4: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replace - '[[category' to '[[Category') |
No edit summary |
||
(3 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<table class="gita" width="100%" align="left"> | <table class="gita" width="100%" align="left"> | ||
<tr> | <tr> | ||
Line 9: | Line 8: | ||
'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
---- | ---- | ||
तीसरे श्लोक में ' क्षेत्र' और 'क्षेत्रज्ञ' के जिस | तीसरे [[श्लोक]] में ' क्षेत्र' और 'क्षेत्रज्ञ' के जिस तत्त्व को संक्षेप में सुनने के लिये भगवान् ने [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> से कहा है- अब उसके विषय में [[ऋषि]], [[वेद]] और [[ब्रह्म सूत्र]] की उक्ति का प्रमाण देकर भगवान् ऋषि, [[वेद]]<ref>वेद [[हिन्दू धर्म]] के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई।</ref> और ब्रह्म सूत्र को आदर देते हैं – | ||
---- | ---- | ||
<div align="center"> | <div align="center"> | ||
Line 24: | Line 22: | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
यह क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ का | यह क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ का तत्त्व ऋषियों द्वारा बहुत प्रकार से कहा गया है और विविध वेद मन्त्रों द्वारा भी विभागपूर्वक कहा गया है, तथा भली-भाँति निश्चय किये हुए युक्तियुक्त ब्रह्रा सूत्र के पदों द्वारा भी कहा गया है ।।4।। | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
Line 53: | Line 51: | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
{{गीता अध्याय}}</td> | {{गीता अध्याय}} | ||
</td> | |||
</tr> | |||
<tr> | |||
<td> | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{गीता2}} | |||
</td> | |||
</tr> | |||
<tr> | |||
<td> | |||
{{महाभारत}} | |||
</td> | |||
</tr> | </tr> | ||
</table> | </table> | ||
[[Category:गीता]] [[Category:महाभारत]] | [[Category:गीता]] [[Category:महाभारत]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 09:14, 6 January 2013
गीता अध्याय-13 श्लोक-4 / Gita Chapter-13 Verse-4
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
||||