गीता 13:33: Difference between revisions

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Latest revision as of 09:59, 6 January 2013

गीता अध्याय-13 श्लोक-33 / Gita Chapter-13 Verse-33

प्रसंग-


शरीर में स्थित होने पर भी आत्मा कर्ता क्यों नहीं है ? इस पर कहते हैं-


यथा प्रकाशयत्येक: कृत्स्नं लोकमिमं रवि: ।
क्षेत्रं क्षेत्री तथा कृत्स्नं प्रकाशयति भारत ।।33।।



हे अर्जुन[1] ! जिस प्रकार एक ही सूर्य[2] इस सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को प्रकाशित करता है, उसी प्रकार एक ही आत्मा सम्पूर्ण क्षेत्र को प्रकाशित करता है ।।33।।

Arjuna, as the one sun illumines this entire universe, so the one atma(spirit) illumines the whole ksetra (field). (33)


भारत = हे अर्जुन ; यथा = जिस प्रकार ; एक: = एक ही ; रवि: = सूर्य ; इमम् = इस ; कृत्स्त्रम् = संपूर्ण ; लोकम् = ब्रह्माण्ड को ; प्रकाशयति = प्रकाशित करता है ; तथा = उसी प्रकार ; क्षेत्री = एक ही आत्मा ; कृत्स्त्रम् = संपूर्ण ; क्षेत्रम् = क्षेत्रको ; प्रकाशयति = प्रकाशित करता है ;



अध्याय तेरह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-13

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत के मुख्य पात्र है। वे पाण्डु एवं कुन्ती के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। द्रोणाचार्य के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। द्रौपदी को स्वयंवर में भी उन्होंने ही जीता था।
  2. सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। वे महर्षि कश्यप की पत्नी अदिति के गर्भ से उत्पन्न हुए।

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