गीता 17:14: Difference between revisions
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इस प्रकार तीन तरह के यज्ञों के लक्षण बतलाकर, अब तप के लक्षणों का प्रकरण आरम्भ करते हुए चार श्लोकों द्वारा सात्त्विक तप का लक्षण बतलाने के लिये पहले शारीरिक तप के स्वरूप का वर्णन करते है- | इस प्रकार तीन तरह के [[यज्ञ|यज्ञों]] के लक्षण बतलाकर, अब तप के लक्षणों का प्रकरण आरम्भ करते हुए चार [[श्लोक|श्लोकों]] द्वारा सात्त्विक तप का लक्षण बतलाने के लिये पहले शारीरिक तप के स्वरूप का वर्णन करते है- | ||
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[[देवता]], | [[देवता]], [[ब्राह्मण]], गुरु और ज्ञानीजनों का पूजन, पवित्रता, सरलता, ब्रह्राचर्य और अहिंसा – यह शरीर संबंधी तप कहा जाता है ।।14।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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Latest revision as of 13:02, 6 January 2013
गीता अध्याय-17 श्लोक-14 / Gita Chapter-17 Verse-14
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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