प्रयोग:रविन्द्र१: Difference between revisions
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==इतिहास== | |||
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<quiz display=simple> | |||
{ऋग्वैदिक काल में विनिमय के माध्यम के रूप में किसका प्रयोग किया जाता था? | |||
|type="()"} | |||
- अनाज | |||
- मुद्रा | |||
+ गाय | |||
- दास | |||
{ऋग्वैदिक युगीन नदी 'परुष्णी' का महत्त्व क्यों है? | |||
|type="()"} | |||
- सर्वाधिक पवित्र नदी होने के कारण | |||
- [[ऋग्वेद]] में सबसे अधिक बार उल्लेख होने के कारण | |||
+ दाशराज्ञ युद्ध के कारण | |||
- उपर्युक्त सभी | |||
{[[ऋग्वेद]] में निम्न में से किसका उल्लेख नहीं मिलता है? | |||
|type="()"} | |||
- [[कृषि]] | |||
- यव | |||
- ब्रीहि | |||
+ कपास | |||
{[[ऋग्वेद]] के दसवें मण्डल में किसका उल्लेख पहली बार मिलता है? | |||
|type="()"} | |||
- योद्धा | |||
- पुरोहित | |||
+ शूद्र | |||
- चाण्डाल | |||
|| 'ॠक' का अर्थ होता है छन्दोबद्ध रचना या श्लोक। [[चित्र:Rigveda.jpg|right|100px|ॠग्वेद का आवरण पृष्ठ]]<br />ॠग्वेद के सूक्त विविध [[देवता|देवताओं]] की स्तुति करने वाले भाव भरे गीत हैं। इनमें भक्तिभाव की प्रधानता है। यद्यपि ॠग्वेद में अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्त्रोतों की प्रधानता है। <br />ॠग्वेद में कुल दस मण्डल हैं और उनमें 1,029 सूक्त हैं और कुल 10,580 ॠचाएँ हैं। ये स्तुति मन्त्र हैं। <br />ॠग्वेद के दस मण्डलों में कुछ मण्डल छोटे हैं और कुछ मण्डल बड़े हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ऋग्वेद]] | |||
{[[ऋग्वेद]] में उल्लिखित कुल क़रीब 25 नदियों में से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण नदी कौन-सी थी? | |||
|type="()"} | |||
- [[गंगा नदी]] | |||
- [[यमुना नदी]] | |||
+ [[सरस्वती नदी]] | |||
- [[सिन्धु नदी]] | |||
|| कई भू-विज्ञानी मानते हैं, और [[ॠग्वेद]] में भी कहा गया है, [[चित्र:Saraswati-River.png|सरस्वती नदी<br /> Saraswati River|right|100px]] कि हज़ारों साल पहले [[सतलुज नदी|सतलुज]] (जो [[सिन्धु नदी|सिन्धु]] नदी की सहायक नदी है) और [[यमुना नदी|यमुना]] (जो [[गंगा नदी|गंगा]] की सहायक नदी है) के बीच एक विशाल नदी थी, जो [[हिमालय]] से लेकर [[अरब सागर]] तक बहती थी। आज ये भूगर्भी बदलाव के कारण सूख गयी है। ऋग्वेद में, [[वैदिक काल]] में इस नदी सरस्वती को 'नदीतमा' की उपाधि दी गयी है। उस सभ्यता में सरस्वती ही सबसे बड़ी और मुख्य नदी थी, गंगा नहीं। सरस्वती नदी [[हरियाणा]], [[पंजाब]] व [[राजस्थान]] से होकर बहती थी और कच्छ के रण में जाकर अरब सागर में मिलती थी। तब सरस्वती के किनारे बसा राजस्थान भी हराभरा था। उस समय यमुना, [[सतलुज नदी|सतलुज]] व घग्गर इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ थीं। बाद में सतलुज व यमुना ने भूगर्भीय हलचलों के कारण अपना मार्ग बदल लिया और सरस्वती से दूर हो गईं। हिमालय की पहाड़ियों में प्राचीन काल से हीभूगर्भीय गतिविधियाँ चलती रही हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सरस्वती नदी]] | |||
{[[ऋग्वेद]] में 'जन' और 'विश' का उल्लेख क्रमश: कितनी बार हुआ है? | |||
|type="()"} | |||
- 250,175 | |||
- 275,175 | |||
- 200,150 | |||
+ 275,170 | |||
{ऋग्वैदिक युग की सर्वाधिक प्राचीन संस्था कौन-सी थी? | |||
|type="()"} | |||
- सभा | |||
- समिति | |||
+ विद्थ | |||
- परिषद | |||
{'आर्य' शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या है? | |||
|type="()"} | |||
- वीर | |||
+ श्रेष्ठ या कुलीन | |||
- विद्वान | |||
- यज्ञकर्ता | |||
{[[बोधगया]] में स्थित वह बोधिवृक्ष, जिसके नीचे [[बुद्ध]] को ज्ञान प्राप्त हुआ था, किस शासक के द्वारा कटवा दिया गया? | |||
|type="()"} | |||
-[[पुष्यमित्र शुंग]] | |||
-[[हूण]] राजा मिहिरकुल | |||
+गौड़ के राजा शशांक | |||
-[[महमूद गज़नवी]] | |||
{[[भारत]] में पूजित पहली मानव प्रतिमा कौन-सी थी? | |||
|type="()"} | |||
+[[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] | |||
-[[इन्द्र|इन्द्र भगवान]] | |||
-[[महावीर|महावीर स्वामी]] | |||
-[[कृष्ण|वासुदेव कृष्ण]] | |||
{उत्तरवैदिक काल के महत्त्वपूर्ण देवता कौन थे? | |||
|type="()"} | |||
- [[रुद्र]] | |||
- [[विष्णु]] | |||
+ प्रजापति | |||
- पूषन | |||
{[[भारत]] का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य '[[सत्यमेव जयते]]' कहाँ से उद्धृत है? | |||
|type="()"} | |||
+ [[मुण्डकोपनिषद]] से | |||
- [[कठोपनिषद]] से | |||
- [[छान्दोग्य उपनिषद]] से | |||
- उपर्युक्त में से कोई नहीं | |||
||यह उपनिषद अथर्ववेदीय शौनकीय शाखा से सम्बन्धित है। इसमें अक्षर-ब्रह्म 'ॐ: का विशद विवेचन किया गया है। इसे मन्त्रोपनिषद नाम से भी पुकारा जाता है। इसमें तीन मुण्डक हैं और प्रत्येक मुण्डक के दो-दो खण्ड हैं तथा कुल चौंसठ मन्त्र हैं। 'मुण्डक' का अर्थ है- मस्तिष्क को अत्यधिक शक्ति प्रदान करने वाला और उसे अविद्या-रूपी अन्धकार से मुक्त करने वाला। इस उपनिषद में महर्षि [[अंगिरा]] ने शौनक को 'परा-अपरा' विद्या का ज्ञान कराया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुण्डकोपनिषद]] | |||
{उत्तर वैदिककालीन ग्रंथों की रचना लगभग 1000 ई. पू. 600 ई. पू. के मध्य किन स्थानों पर की गई? | |||
|type="()"} | |||
- सैन्धव घाटी के मैदान में | |||
- आर्यावर्त के मैदान में | |||
+ गंगा के उत्तरी मैदान में | |||
- मध्य एशिया के मैदान में | |||
{'सभा और समिति प्रजापति की दो पुत्रियाँ थीं' का उल्लेख किस ग्रंथ में मिलता है? | |||
|type="()"} | |||
- [[ऋग्वेद]] में | |||
+[[अथर्ववेद]] में | |||
- [[यजुर्वेद]] में | |||
- [[सामवेद]] में | |||
||[[चित्र:Atharvaveda.jpg|right|100px|अथर्ववेद का आवरण पृष्ठ]] अथर्ववेद की भाषा और स्वरूप के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस [[वेद]] की रचना सबसे बाद में हुई। अथर्ववेद के दो पाठों (शौनक और पैप्पलद) में संचरित हुए लगभग सभी स्तोत्र ॠग्वेदीय स्तोत्रों के छदों में रचित हैं। दोनो वेदों में इसके अतिरिक्त अन्य कोई समानता नहीं है। अथर्ववेद में दैनिक जीवन से जुड़े तांत्रिक धार्मिक सरोकारों को व्यक्त करता है, इसका स्वर [[ॠग्वेद]] के उस अधिक पुरोहिती स्वर से भिन्न है, जो महान [[देवता|देवों]] को महिमामंडित करता है और [[सोम रस|सोम]] के प्रभाव में कवियों की उत्प्रेरित दृष्टि का वर्णन करता है। [[यज्ञ|यज्ञों]] व देवों को अनदेखा करने के कारण वैदिक पुरोहित वर्ग इसे अन्य तीन वेदों के बराबर नहीं मानता था। इसे यह दर्जा बहुत बाद में मिला। इसकी भाषा ॠग्वेद की भाषा की तुलना में स्पष्टतः बाद की है और कई स्थानों पर ब्राह्मण ग्रंथों से मिलती है। अतः इसे लगभग 1000 ई.पू. का माना जा सकता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अथर्ववेद]] | |||
{उत्तर वैदिककालीन ग्रंथों में किस आश्रम का उल्लेख नहीं मिलता? | |||
|type="()"} | |||
+ सन्यास | |||
- ब्रह्मचर्य | |||
- गृहस्थ | |||
- वानप्रस्थ | |||
{'गायत्री मंत्र' किस [[वेद]] से लिया गया है? | |||
|type="()"} | |||
+ [[ऋग्वेद]] | |||
- [[सामवेद]] | |||
- [[यजुर्वेद]] | |||
- [[अथर्ववेद]] | |||
{[[वेद|वेदों]] को 'अपौरुषेय' क्यों कहा जाता है? | |||
|type="()"} | |||
+ क्योंकि [[वेद|वेदों]] की रचना [[देवता|देवताओं]] द्वारा की गई है | |||
- क्योंकि [[वेद|वेदों]] की रचना पुरुषों द्वारा की गई है | |||
-क्योंकि [[वेद|वेदों]] की रचना ऋषियों द्वारा की गई है | |||
- उपर्युक्त में से कोई नहीं | |||
{राष्ट्र एवं राजा शब्द का उल्लेख सर्वप्रथम कब हुआ? | |||
|type="()"} | |||
- सैन्धव काल में | |||
- ऋग्वैदिक काल में | |||
+उत्तरवैदिक काल में | |||
-महाकाव्य में | |||
{आर्यों के मूल निवास स्थान के बारे में सर्वाधिक मान्य मत कौन-सा है? | |||
|type="()"} | |||
-दक्षिणी रूस | |||
+मध्य एशिया में बैक्ट्रिया | |||
-भारत में सप्तसैन्धव प्रदेश | |||
-मध्य एशिया का पामीर क्षेत्र | |||
{भागवत धर्म का प्रधान ग्रंथ निम्न में से कौन-सा था? | |||
|type="()"} | |||
+[[गीता|श्रीमदभागवदगीता]] | |||
-[[रामायण]] | |||
-[[महाभारत]] | |||
-उपर्युक्त सभी | |||
{जैन मत का सर्वाधिक प्रचार-प्रसार किस समुदाय में हुआ? | |||
|type="()"} | |||
-शासक वर्ग | |||
-किसान वर्ग | |||
+व्यापारी वर्ग | |||
-शिल्पी वर्ग | |||
{[[जैन धर्म]] 'श्वेताम्बर' एवं 'दिगम्बर' सम्प्रदायों में कब विभाजित हुआ? | |||
|type="()"} | |||
+[[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के समय में | |||
-[[अशोक]] के समय में | |||
-[[कनिष्क]] के समय में | |||
-उपर्युक्त में से कोई नहीं | |||
||चंद्रगुप्त धर्म में भी रुचि रखता था। यूनानी लेखकों के अनुसार जिन चार अवसरों पर राजा महल से बाहर जाता था, उनमें एक था [[यज्ञ]] करना। कौटिल्य उसका पुरोहित तथा मुख्यमंत्री था। [[हेमचंद्र]] ने भी लिखा है कि वह ब्राह्मणों का आदर करता है। [[मेगस्थनीज़]] ने लिखा है कि चंद्रगुप्त वन में रहने वाले तपस्वियों से परामर्श करता था और उन्हें [[देवता|देवताओं]] की पूजा के लिए नियुक्त करता था। वर्ष में एक बार विद्वानों (ब्राह्मणों) की सभा बुलाई जाती थी, ताकि वे जनहित के लिए उचित परामर्श दे सकें। दार्शनिकों से सम्पर्क रखना चंद्रगुप्त की जिज्ञासु प्रवृत्ति का सूचक है। [[जैन]] अनुयायियों के अनुसार जीवन के अन्तिम चरण में चंद्रगुप्त ने [[जैन धर्म]] स्वीकार कर लिया। कहा जाता है कि जब मगध में 12 वर्ष का दुर्भिक्ष पड़ा तो चंद्रगुप्त राज्य त्यागकर जैन आचार्य [[भद्रबाहु]] के साथ [[श्रवण बेल्गोला]] (मैसूर के निकट) चला गया और एक सच्चे जैन भिक्षु की भाँति उसने निराहार समाधिस्थ होकर प्राणत्याग किया (अर्थात केवल्य प्राप्त किया)। 900 ई. के बाद के अनेक अभिलेख भद्रबाहु और चंद्रगुप्त का एक साथ उल्लेख करते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] | |||
{[[जैन धर्म]] के विषय में कौन-सा कथन सत्य नहीं है? | |||
|type="()"} | |||
-जैन धर्म में देवताओं का अस्तित्व स्वीकार किया गया है | |||
+वर्ण व्यवस्था की निन्दा की गई है | |||
-पूर्व जन्म में अर्जित पुण्य और पाप के आधार पर मनुष्य का जन्म उच्च या निम्न कुल में होता है | |||
-जैन धर्म ने अपने को स्पष्टत: [[ब्राह्मण]] धर्म से अलग नहीं किया है | |||
{भारतीय असंतोष के पिता के रूप में [[बाल गंगाधर तिलक]] को किसने कहा था? | |||
|type="()"} | |||
-[[लॉर्ड कर्ज़न]] | |||
-विंसेंट स्मिथ | |||
+वेलेंटाइल शिरॉल | |||
-हेनरी कॉटन | |||
||वेलेंटाइल शिरॉल ने [[बाल गंगाधर तिलक]] को 'भारतीय असंतोष का जनक' कहा। | |||
{[[सुभाषचन्द्र बोस]] से पूर्व 'आज़ाद हिन्द फ़ौज़' का कमाण्डर कौन था? | |||
|type="()"} | |||
-ग्यानी प्रीतम सिंह | |||
+कैप्टन मोहन सिंह | |||
-मेजर फुजीहारा | |||
-कैप्टन सूरज मल | |||
||आज़ाद हिन्द फ़ौज़ की स्थापना [[15 दिसम्बर]], [[1941]] में कैप्टन मोहन सिंह ने की थी। आज़ाद हिन्द फ़ौज़ का नेतृत्व [[सुभाषचन्द्र बोस]] को [[21 अक्टूबर]], [[1943]] को सौंपा गया। | |||
{[[ऋग्वेद]] में 'निष्क' शब्द का प्रयोग किसी आभूषण के लिए किया गया है, वह आभूषण है? | |||
|type="()"} | |||
-कान का बुन्दा | |||
-माथे का टीका | |||
+गले का हार | |||
-हाथ का कंगन | |||
{[[अथर्ववेद]] में किन दो संस्थाओं को प्रजापति की दो पुत्रियाँ कहा गया है? | |||
|type="()"} | |||
-पंचायत एवं ग्राम सभा | |||
-समिति एवं विरथ | |||
+सभा एवं समिति | |||
-सभा एवं विश | |||
{विशाखादत्त के [[मुद्राराक्षस ग्रंथ|मुद्राराक्षस]] में वर्णित नाम चन्द्रसिरी (चन्द्र श्री) के रूप में किस राजा की पहचान की गई है? | |||
|type="()"} | |||
-[[अशोक|अशोक महान]] | |||
+[[चंद्रगुप्त मौर्य|चन्द्रगुप्त]] | |||
-[[बिन्दुसार]] | |||
-इनमें से कोई नहीं | |||
{निम्नलिखित में से कौन-सा प्रांत [[मौर्य साम्राज्य]] से बाहर था? | |||
|type="()"} | |||
- [[कलिंग]] | |||
- [[सौराष्ट्र]] | |||
- [[कश्मीर]] | |||
+ [[असम]] | |||
{'अवतारवाद' का प्रथम उल्लेख निम्न में से कहाँ मिलता है? | |||
|type="()"} | |||
-[[महाभारत]] | |||
-[[रामायण]] | |||
+[[गीता|भगवदगीता]] | |||
-[[विष्णु पुराण]] | |||
{तमिल राष्ट्र में दुर्गा का तादात्म्य तमिल देवी 'कोरवई' से किया गया है, वे किस तत्त्व की तमिल देवी थीं? | |||
|type="()"} | |||
-मातृत्व | |||
-प्रकृति और उर्वरकता | |||
-[[पृथ्वी]] | |||
+युद्ध और विजय | |||
{वह प्रथम भारतीय शासक जिसने रोमन मुद्रा प्रणाली के अनुरूप अपने सिक्कों का प्रसारण किया। उसका सम्बन्ध किस साम्राज्य से था? | |||
|type="()"} | |||
-[[शुंग]] | |||
-हिन्द-यूनानी | |||
-[[गुप्त वंश|गुप्त वंशीय]] | |||
+[[कुषाण]] | |||
||युइशि लोगों के पाँच राज्यों में अन्यतम कुएई-शुआंगा था। 25 ई. पू. के लगभग इस राज्य का स्वामी [[कुषाण]] नाम का वीर पुरुष हुआ, जिसके शासन में इस राज्य की बहुत उन्नति हुई। उसने धीरे-धीरे अन्य युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया। वह केवल युइशि राज्यों को जीतकर ही संतुष्ट नहीं हुआ, अपितु उसने समीप के पार्थियन और [[शक]] राज्यों पर भी आक्रमण किए। अनेक ऐतिहासिकों का मत है, कि कुषाण किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं था। यह नाम [[युइशि जाति]] की उस शाखा का था, जिसने अन्य चारों युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया था। जिस राजा ने पाँचों युइशि राज्यों को मिलाकर अपनी शक्ति का उत्कर्ष किया, उसका अपना नाम कुजुल कदफ़ियस था। पर्याप्त प्रमाण के अभाव में यह निश्चित कर सकना कठिन है कि जिस युइशि वीर ने अपनी जाति के विविध राज्यों को जीतकर एक सूत्र में संगठित किया, उसका वैयक्तिक नाम कुषाण था या कुजुल था। यह असंदिग्ध है, कि बाद के युइशि राजा भी कुषाण वंशी थे। राजा कुषाण के वंशज होने के कारण वे कुषाण कहलाए, या युइशि जाति की कुषाण शाखा में उत्पन्न होने के कारण—यह निश्चित न होने पर भी इसमें सन्देह नहीं कि ये राजा कुषाण कहलाते थे और इन्हीं के द्वारा स्थापित साम्राज्य को कुषाण साम्राज्य कहा जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कुषाण]] | |||
{[[हैदराबाद]] नगर की स्थापना की थी? | |||
|type="()"} | |||
- इब्राहीम क़ुतुबशाह ने | |||
+ [[मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह]] ने | |||
- मुहम्मद क़ुतुबशाह | |||
- जमशिद क़ुतुबशाह | |||
{[[बहमनी वंश|बहमनी साम्राज्य]] के प्रान्तों को क्या कहा जाता था? | |||
|type="()"} | |||
+ तराफ़ या अतराफ़ | |||
- सूबा | |||
- सूबा-ए-लश्कर | |||
- महामण्डल | |||
{[[औरंगज़ेब]] के शासनकाल में [[जाट]] विद्रोह का नेता कौन था? | |||
|type="()"} | |||
+ तिलपत का ज़मींदार [[गोकुल सिंह]] | |||
- चम्पतराय | |||
- [[राजाराम]] | |||
- चूड़ामन | |||
{जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ द्वारा प्रतिपादित चार महाव्रतों में [[महावीर]] स्वामी ने पाँचवें व्रत के रूप में क्या जोड़ा? | |||
|type="()"} | |||
-अहिंसा | |||
-अत्तेय | |||
-अपरिग्रह | |||
+ब्रह्मचर्य | |||
{ऋग्वैदिक आर्यों की भाषा क्या थी? | |||
|type="()"} | |||
- द्रविड़ भाषा | |||
- [[प्राकृत भाषा]] | |||
+ [[संस्कृत भाषा]] | |||
- [[पालि भाषा]] | |||
||संस्कृत [[भारत]] की एक शास्त्रीय भाषा है। यह दुनिया की सबसे पुरानी उल्लिखित भाषाओं में से एक है। '''संस्कृत का अर्थ है, संस्कार की हुई भाषा। इसकी गणना संसार की प्राचीनतम ज्ञात भाषाओं में होती है। संस्कृत को देववाणी भी कहते हैं।''' संस्कृत हिन्दी-यूरोपीय भाषा परिवार की मुख्य शाखा हिन्दी-ईरानी भाषा की हिन्दी-आर्य उपशाखा की मुख्य भाषा है। आधुनिक भारतीय भाषाएँ हिन्दी, मराठी, सिन्धी, [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]], बंगला, उड़िया, नेपाली, कश्मीरी, उर्दू आदि सभी भाषाएं इसी से उत्पन्न हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। [[हिन्दू धर्म]] के लगभग सभी [[धर्मग्रन्थ]] संस्कृत भाषा में ही लिखे हुए हैं। आज भी हिन्दू धर्म के [[यज्ञ]] और पूजा संस्कृत भाषा में ही होते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[संस्कृत भाषा]] | |||
{ऋग्वैदिक काल में समाज का स्वरूप किस प्रकार का था? | |||
|type="()"} | |||
+ पितृसत्तात्मक | |||
- मातृसत्तात्मक | |||
- 1 एवं 2 दोनों | |||
- केवल 1 | |||
{[[बुद्ध]] को किस नदी के तट पर ज्ञान प्राप्त हुआ? | |||
|type="()"} | |||
+निरंजना | |||
-ऋजुपालिका | |||
-[[गंगा]] | |||
-[[यमुना]] | |||
{पूर्णिमा की रात के बारे में कौन-सा कथन महात्मा [[बुद्ध]] के लिए महत्त्वपूर्ण है? | |||
|type="()"} | |||
-पूर्णिमा को ही बुद्ध का जन्म हुआ | |||
+पूर्णिमा को बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया | |||
-पूर्णिमा की ही रात को बुद्ध ने गृह-त्याग किया | |||
-पूर्णिमा को ही बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ। | |||
{[[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] के विषय में निम्न में से क्या असत्य है? | |||
|type="()"} | |||
-[[अनीश्वरवाद|अनीश्वरवादी]] थे | |||
-अनात्मवादी थे | |||
+पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करते थे | |||
-यज्ञीय कर्म काण्ड एवं पशुबलि के विरोधी थे | |||
{किस बौद्ध ग्रंथ में सर्वप्रथम [[संस्कृत]] का प्रयोग हुआ? | |||
|type="()"} | |||
-सुत्तपिटक | |||
-विनयपिटक | |||
+अभिधम्मपिटक | |||
-महावस्तु | |||
{[[बुद्ध]] ने सर्वाधिक उपदेश कहाँ पर दिये? | |||
|type="()"} | |||
-[[वैशाली]] | |||
+[[श्रावस्ती]] | |||
-चम्पा | |||
-[[राजगृह]] | |||
|| [[भारत]] के [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के गोंडा-बहराइच ज़िलों की सीमा पर यह [[बौद्ध]] तीर्थ स्थान है। गोंडा-बलरामपुर से 12 मील पश्चिम में आधुनिक सहेत-महेत गाँव ही श्रावस्ती है। पहले यह [[कौशल]] देश की दूसरी राजधानी थी, भगवान [[राम]] के पुत्र [[लव कुश|लव]] ने इसे अपनी राजधानी बनाया था, श्रावस्ती बौद्ध [[जैन]] दोनों का तीर्थ स्थान है, [[बुद्ध|तथागत]] श्रावस्ती में रहे थे, यहाँ के श्रेष्ठी अनाथपिण्डिक ने भगवान [[गौतम बुद्ध|बुद्ध]] के लिये जेतवन बिहार बनवाया था, आजकल यहाँ बौद्ध धर्मशाला, मठ और मन्दिर है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[श्रावस्ती]] | |||
{[[शिव]]-भक्ति के विषय में प्रारम्भिक जानकारी निम्न में से किसमें मिलती है? | |||
|type="()"} | |||
+सैन्धव सभ्यता से | |||
-वैदिक काल से | |||
-संगम काल से | |||
-मौर्य काल से | |||
{[[राजा राममोहन राय]] के प्रथम शिष्य, जिन्होंने उनके मरणोपरांत 'ब्रह्म समाज' का नेतृत्व सँभाला था? | |||
|type="()"} | |||
- द्वारकानाथ टैगोर | |||
+ रामचन्द्र विद्यावागीश | |||
- केशवचन्द्र सेन | |||
- देवेन्द्रनाथ टैगोर | |||
{वह राष्ट्रकूट शासक कौन था, जिसकी तुलना उदार तथा विद्वानों के संरक्षक के रूप में विख्यात [[चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य|राजा विक्रमादित्य]] से की गई है? | |||
|type="()"} | |||
- गोविन्द तृतीय | |||
- ध्रुव चतुर्थ | |||
- कृष्ण तृतीय | |||
+ अमोघवर्ष | |||
{भावी [[बुद्ध]] की किस रूप में जन्म लेने की कल्पना की गई है? | |||
|type="()"} | |||
+मैत्रेय | |||
-सामन्त भद्र | |||
-काश्यप | |||
-शाक्य मुनि | |||
{[[कृष्ण]] का प्रारम्भिक नाम 'वासुदेव' किस समय प्रचलन में आया? | |||
|type="()"} | |||
+पाणिनी काल | |||
-[[महाभारत|महाभारत काल]] | |||
-[[मौर्य काल|मौर्यकाल]] | |||
-[[गुप्त राजवंश|गुप्त काल]] | |||
{'आना' सिक्के का प्रचलन किस [[मुग़ल]] सम्राट ने करवाया? | |||
|type="()"} | |||
-[[अकबर]] | |||
-[[शाहजहाँ]] | |||
+[[जहाँगीर]] | |||
-[[औरंगज़ेब]] | |||
||जहाँगीर का जन्म [[30 अगस्त]], सन 1569 को [[फ़तेहपुर सीकरी]] में हुआ था। अपने आरंभिक जीवन में वह शराबी और आवारा शाहजादे के रूप में बदनाम था। उसके पिता सम्राट अकबर ने उसकी बुरी आदतें छुड़ाने की बड़ी चेष्टा की; किंतु उसे सफलता नहीं मिली। इसीलिए समस्त सुखों के होते हुए भी वह अपने बिगड़े हुए बेटे के कारण जीवनपर्यंत दुखी रहा। अंतत: अकबर की मृत्यु के पश्चात जहाँगीर ही मुग़ल सम्राट बना। उस समय उसकी आयु 36 वर्ष की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जहाँगीर]] | |||
{वैष्णव मत किन शासकों के संरक्षण में अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँचा? | |||
|type="()"} | |||
-[[मौर्य वंश|मौर्य]] | |||
-[[कुषाण]] | |||
-[[शुंग]] | |||
+[[गुप्त वंश|गुप्त]] | |||
{जैन परम्परा के अनुसार [[जैन धर्म]] में कुल कितने तीर्थकर हुए हैं? | |||
|type="()"} | |||
-25 | |||
-20 | |||
+24 | |||
-23 | |||
{निम्नलिखित में से किस [[मुग़ल]] बादशाह ने [[राजा राममोहन राय]] को दूत बनाकर लंदन भेजा था? | |||
|type="()"} | |||
-[[आलमगीर द्वितीय]] | |||
-[[शाहआलम द्वितीय]] | |||
+[[अकबर द्वितीय]] | |||
-बहादुरशाह द्वितीय | |||
||[[मुग़ल]] बादशाह [[अकबर द्वितीय]] (1806-37) ने राजा राममोहन राय को 'राजा' की उपाधि प्रदान की तथा उनसे [[इंग्लैंण्ड]] जाकर बादशाह की पेंशन बढ़ाने की सिफ़ारिश करने का आग्रह किया। इंग्लैंण्ड में ही [[1833]] ई. में राममोहन राय राजा की बिस्टल में मृत्यु हो गयी। | |||
{वैज्ञानिक समाज की स्थापना की थी? | |||
|type="()"} | |||
-विल्टन कम्पनी ने | |||
-लॉर्ड कार्नवालिस ने | |||
+[[सर सैयद अहमद ख़ाँ]] ने | |||
-इनमें से कोई नहीं | |||
|| वैज्ञानिक समाज की स्थापना [[1864]] में [[सर सैयद अहमद ख़ाँ]] ने की तथा [[1875]] में [[अलीगढ़]] मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की। | |||
{[[महाभारत]] में [[माद्री]], [[देवकी]], भद्रा, [[रोहिणी]], मदिरा, आदि स्त्रियों का वर्णन किस सन्दर्भ में किया है? | |||
|type="()"} | |||
-धार्मिक उपासना के सन्दर्भ में | |||
+पति के साथ [[सती]] होने के सन्दर्भ में | |||
-गणिकाओं के रूप में | |||
-उपर्युक्त में से कोई नहीं | |||
{[[अशोक]] के कुल कितने मुहालेख अब तक मिले हैं? | |||
|type="()"} | |||
- 5 | |||
+ 3 | |||
- 7 | |||
- 14 | |||
{कोपेनहेगन संग्रहालय की सामग्री से पाषण, कांस्य और लौहयुग का त्रियुगीय विभाजन किया था? | |||
|type="()"} | |||
+थॉमसन ने | |||
-लुब्बाक ने | |||
-टेलर ने | |||
-चाइल्ड ने | |||
{[[ऋग्वेद]] में निम्नलिखित किन नदियों का उल्लेख [[अफ़ग़ानिस्तान]] के साथ [[आर्य|आर्यों]] के सम्बन्ध का सूचक है? | |||
|type="()"} | |||
-असिक्नी | |||
-परुष्नी | |||
+कुभा, क्रम | |||
-विपाश, सुतुद्रि | |||
|| क्रमु (कुर्रम), कुभा (क़ाबुल) आदि आर्यों के कार्यकाल में [[अफ़ग़ानिस्तान]] में बहने वाली नदियाँ हैं। | |||
{[[बुद्ध]] का किसके सिक्कों पर अंकन हुआ है? | |||
|type="()"} | |||
-[[विम कडफ़ाइसिस]] | |||
+[[कनिष्क]] | |||
-नहपाण | |||
-बुद्ध गुप्त | |||
||[[कनिष्क]] का कार्यकाल 78 ई. के लगभग माना जाता है। 78 ई. में उसने एक संवत चलाया जो [[शक संवत]] कहलाता है। इसी के सिक्कों पर [[बुद्ध]] का अंकन मिलता है। | |||
{[[माउण्ट आबू]] का जैन मन्दिर किससे बना है? | |||
|type="()"} | |||
-बलुए पत्थर से | |||
-ग्रेनाइट से | |||
-चूना पत्थर से | |||
+संगमरमर से | |||
||[[चंदबरदाई]] [[राजपूत|राजपूतों]] की उत्पत्ति स्थल माउण्ट आबू को ही मानते हैं। [[माउण्ट आबू]] के पास ही प्रसिद्ध देलवाड़ा के जैन मन्दिर हैं। माउण्ट आबू के जैन मन्दिर संगमरमर से बने हुए हैं। यहाँ [[देवता|देवताओं]] के नाखूनों से खोदी गई 'नक्की झील' है। | |||
{यापनीय किसका सम्प्रदाय था? | |||
|type="()"} | |||
-[[बौद्ध धर्म]] का | |||
+[[जैन धर्म]] का | |||
-[[शैव धर्म]] का | |||
-[[वैष्णव धर्म]] का | |||
{विश्व का पहला गणतंत्र [[वैशाली]] में किसके द्वारा स्थापित किया गया? | |||
|type="()"} | |||
-[[मौर्य वंश|मौर्य]] | |||
-[[नंद वंश|नंद]] | |||
-[[गुप्त वंश|गुप्त]] | |||
+[[लिच्छवी]] | |||
||लिच्छवी में बुद्ध काल में लिच्छवियों का प्रसिद्ध गणराज्य था। यह गणराज्यों में सबसे पहला बड़ा और शक्तिशाली गणराज्य था। इसकी केन्द्रीय समिति में 7,707 राजा थे। यह [[जैन धर्म|जैन]] और [[बौद्ध धर्म]] का प्रमुख केन्द्र था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[लिच्छवी]] | |||
{[[भारत]] में प्रथम रेलवे लाइन किस ब्रिटिश गवर्नर के समय बिछाई गई थी? | |||
|type="()"} | |||
+[[लॉर्ड डलहौज़ी]] | |||
-[[लॉर्ड कर्ज़न]] | |||
-लॉर्ड वेलेजली | |||
-[[लॉर्ड लिटन]] | |||
||भारत में सर्वप्रथम रेल सेवा गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौज़ी के शासनकाल में [[मुम्बई]] से थाणे के बीच 1853 ई. में प्रारम्भ की गई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[लॉर्ड डलहौज़ी]] | |||
{[[1942]] के आन्दोलन में [[डॉ. राजेंद्र प्रसाद]] को किस जेल में क़ैद रखा गया था? | |||
|type="()"} | |||
+बांकीपुर जेल | |||
-हजारीबाग जेल | |||
-कैम्प जेल | |||
-भागलपुर जेल | |||
||[[चित्र:Dr.Rajendra-Prasad.jpg|100px|right|डॉ. राजेंद्र प्रसाद]]1942 के '[[भारत]] छोड़ो आन्दोलन' के दौरान डॉ. राजेंद्र प्रसाद को गिरफ़्तार कर बांकीपुर जेल ([[पटना]]) में रखा गया था। डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद भारत के प्रथम [[राष्ट्रपति]] थे। [[बिहार]] प्रान्त के एक छोटे से गाँव जीरादेयू में [[3 दिसम्बर]], [[1884]] में राजेन्द्र प्रसाद का जन्म हुआ था।। राजेन्द्र प्रसाद प्रतिभाशाली और विद्वान व्यक्ति थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[डॉ. राजेंद्र प्रसाद]] | |||
{रंगपुर जहाँ [[हड़प्पा]] की समकालीन सभ्यता थी? | |||
|type="()"} | |||
-[[पंजाब]] में | |||
-[[उत्तर प्रदेश]] में | |||
+[[सौराष्ट्र]] में | |||
-[[राजस्थान]] में | |||
||सौराष्ट्र, वर्तमान [[काठियावाड़]]-प्रदेश, जो प्रायद्वीपीय क्षेत्र है। [[महाभारत]] के समय [[द्वारका|द्वारिकापुरी]] इसी क्षेत्र में स्थित थी। सुराष्ट्र या सौराष्ट्र को [[सहदेव]] ने अपनी दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में विजित किया था {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सौराष्ट्र]] | |||
{प्रारंभिक [[आर्य|आर्यों]] के बारे में निम्न कथनों में से कौन-सा सही नहीं है? | |||
|type="()"} | |||
-वे [[संस्कृत]] बोलने वाले थे | |||
-वे घुड़सवारी किया करते थे | |||
-वे कई झुण्डों में [[भारत]] पहुँचे | |||
+वे मुख्यत: नगरों में निवास करते थे | |||
{किस शासक ने [[अवंति]] को जीतकर [[मगध]] का हिस्सा बना दिया? | |||
|type="()"} | |||
-[[अजातशत्रु]] | |||
-[[बिम्बिसार]] | |||
+शिशुनाग | |||
-महापद्यनंद | |||
{किसे [[एशिया]] की रोशनी कहा जाता है? | |||
|type="()"} | |||
-[[महात्मा गाँधी]] | |||
+[[गौतम बुद्ध]] | |||
-माओत्से तुंग | |||
-[[अकबर]] | |||
||[[चित्र:Buddha-Statue-Bodhgaya-Bihar-2.jpg|100px|right|बुद्ध प्रतिमा, बोधगया, बिहार]]गौतम बुद्ध का नाम सिद्धार्थ था। सिंहली, अनुश्रुति, खारवेल के अभिलेख, [[अशोक]] के सिंहासनारोहण की तिथि, कैण्टन के अभिलेख आदि के आधार पर महात्मा बुद्ध की जन्म तिथि 563 ई. पूर्व स्वीकार की गयी है। इनका जन्म शाक्यवंश के राजा [[शुद्धोदन]] की रानी महामाया के गर्भ से [[लुम्बिनी]] में माघ पूर्णिमा के दिन हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[गौतम बुद्ध]] | |||
{केवल वह स्तम्भ जिसमें [[अशोक]] ने स्वयं को [[मगध]] का सम्राट बताया है? | |||
|type="()"} | |||
-मस्की का लघु स्तम्भ | |||
-रुम्मिनदई स्तम्भ | |||
-क्वीन स्तम्भ | |||
+भाब्रू स्तम्भ | |||
{सर्वप्रथम [[रोम]] के साथ किन लोगों का व्यापार प्रारंभ हुआ? | |||
|type="()"} | |||
-[[कुषाण वंश|कुषाणों]] का | |||
+तमिलों एवं चेरों का | |||
-[[वाकाटक वंश|वाकाटकों]] | |||
-शकों का | |||
{[[मौर्य साम्राज्य]] का अंतिम शासक कौन था? | |||
|type="()"} | |||
-[[दशरथ मौर्य|दशरथ]] | |||
-[[कुणाल]] | |||
-सालिसुक | |||
+[[बृहद्रथ मौर्य|बृहद्रथ]] | |||
|| बृहद्रथ मौर्य, [[मौर्य वंश]] का अंतिम शासक था। यह अपने प्रधान सेनापति पुष्यमित्र शुंग द्वारा मारा गया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बृहद्रथ मौर्य]] | |||
{भारतीय [[संगीत]] का आदिग्रंथ कहा जाता है? | |||
|type="()"} | |||
-[[ऋग्वेद]] | |||
-[[यजुर्वेद]] | |||
-[[अथर्ववेद]] | |||
+[[सामवेद]] | |||
||‘साम‘ शब्द का अर्थ है ‘गान‘। सामवेद में संकलित मंत्रों को देवताओं की स्तुति के समय गाया जाता था। सामवेद में कुल 1875 ऋचायें हैं। जिनमें 75 से अतिरिक्त शेष [[ऋग्वेद]] से ली गयी हैं। इन ऋचाओं का गान सोमयज्ञ के समय ‘उदगाता‘ करते थे।{{point}} अधिक जानकारी के देखें:- [[सामवेद]] | |||
{[[कृष्ण]] भक्ति का प्रथम और प्रधान ग्रंथ है? | |||
|type="()"} | |||
+[[गीता|श्रीमद्भागवतगीता]] | |||
-[[महाभारत]] | |||
-गीतगोविन्द | |||
-इनमें से कोई नहीं | |||
{प्रसिद्ध दस राजाओं का युद्ध-दाशराज युद्ध-किस नदी के तट पर लड़ा गया? | |||
|type="()"} | |||
-[[गंगा]] | |||
-[[ब्रह्मपुत्र]] | |||
-[[कावेरी नदी|कावेरी]] | |||
+परूष्णी | |||
{[[ऋग्वेद]] के किस मंडल में शूद्र का उल्लेख पहली बार मिलता है? | |||
|type="()"} | |||
-7वें | |||
-8वें | |||
-9वें | |||
+10वें | |||
{[[वैदिक धर्म]] का मुख्य लक्षण इनमें से किसकी उपासना था? | |||
|type="()"} | |||
+प्रकृति | |||
-पशुपति | |||
-देवी माता | |||
-त्रिमूर्ति | |||
{किस [[देवता]] के लिए [[ऋग्वेद]] में 'पुरंदर' शब्द का प्रयोग हुआ है? | |||
|type="()"} | |||
+[[इंद्र]] | |||
-[[अग्नि]] | |||
-[[वरुण देवता|वरुण]] | |||
-सोम | |||
||[[ॠग्वेद]] के प्राय: 250 सूक्तों में [[इन्द्र]] का वर्णन है तथा 50 सूक्त ऐसे हैं जिनमें दूसरे देवों के साथ इन्द्र का वर्णन है। इस प्रकार लगभग ऋग्वेद के चतुर्थांश में इन्द्र का वर्णन पाया जाता है। इससे हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि इन्द्र वैदिक युग का सर्वप्रिय [[देवता]] था। इन्द्र शब्द की व्युत्पत्ति एवं अर्थ अस्पष्ट है। {{point}} अधिक जानकारी के देखें:- [[इन्द्र]] | |||
{'असतो मा सदगमय' कहाँ से लिया गया है? | |||
|type="()"} | |||
+[[ऋग्वेद]] | |||
-[[यजुर्वेद]] | |||
-[[अथर्ववेद]] | |||
-[[सामवेद]] | |||
||ऋग्वेद सबसे प्राचीनतम है। 'ॠक' का अर्थ होता है छन्दोबद्ध रचना या श्लोक। ॠग्वेद के सूक्त विविध [[देवता|देवताओं]] की स्तुति करने वाले भाव भरे गीत हैं। इनमें भक्तिभाव की प्रधानता है। यद्यपि ॠग्वेद में अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्त्रोतों की प्रधानता है। ॠग्वेद में कुल दस मण्डल हैं और उनमें 1,029 सूक्त हैं और कुल 10,580 ॠचाएँ हैं। ये स्तुति मन्त्र हैं।{{point}} अधिक जानकारी के देखें:- [[ऋग्वेद]] | |||
{[[आर्य]] [[भारत]] में बाहर से आए और सर्वप्रथम बसे थे? | |||
|type="()"} | |||
-सामातट में | |||
-प्रागज्योतिष में | |||
+[[पंजाब]] में | |||
-[[पांचाल]] में | |||
{[[वैशेषिक दर्शन]] के प्रतिपादक हैं? | |||
|type="()"} | |||
-कपिल | |||
-अक्षपाद गौतम | |||
+उलूक कणद | |||
-पतंजलि | |||
{'गोत्र' व्यवस्था प्रचलन में कब आई? | |||
|type="()"} | |||
-ऋग्वैदिक काल में | |||
+उत्तर वैदिक काल में | |||
-महाकाव्य काल में | |||
-सूत्रकाल में | |||
{किस राजा के शासन काल में [[ईसाई धर्म]] प्रचारक 'सेंट थामस' [[भारत]] आया? | |||
|type="()"} | |||
-[[मिलिंद (मिनांडर)|मिनाण्डर]] | |||
-रुद्रदामन | |||
+गोन्दोफिर्नस | |||
-[[कनिष्क]] | |||
{[[सातवाहन]] शासकों की राजकीय भाषा क्या थी? | |||
|type="()"} | |||
-[[पालि भाषा|पालि]] | |||
-[[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] | |||
+[[प्राकृत भाषा|प्राकृत]] | |||
-उपर्युक्त में से कोई नहीं | |||
||प्राकृत भाषा भारतीय आर्यभाषा का एक प्राचीन रूप है। इसके प्रयोग का समय 500 ई.पू. से 1000 ई. सन तक माना जाता है। धार्मिक कारणों से जब संस्कृत का महत्त्व कम होने लगा तो प्राकृत भाषा अधिक व्यवहार में आने लगी। इसके चार रूप विशेषत: उल्लेखनीय हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-: [[प्राकृत भाषा]] | |||
{किस [[कुषाण]] शासक ने सर्वाधिक स्वर्ण मुद्रायें जारी की? | |||
|type="()"} | |||
-कडफिसस प्रथम | |||
+कडफिसस द्वितीय | |||
-[[कनिष्क]] | |||
-विमकडफिसस | |||
{किस वंश के शासकों ने 'क्षत्रप प्रणाली' का प्रयोग किया? | |||
|type="()"} | |||
+[[कुषाण|कुषाणों]] ने | |||
-हिन्द-यवनों ने | |||
-ईरानियों ने | |||
-[[शक|शकों]] ने | |||
||युइशि लोगों के पाँच राज्यों में अन्यतम का कुएई-शुआंगा था। 25 ई. पू. के लगभग इस राज्य का स्वामी कुषाण नाम का वीर पुरुष हुआ, जिसके शासन में इस राज्य की बहुत उन्नति हुई। उसने धीरे-धीरे अन्य युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-: [[कुषाण]] | |||
{प्राचीन [[भारत]] में सर्वप्रथम किस वंश के शासकों ने 'द्वैध शासन प्रणाली' की शुरूआत की? | |||
|type="()"} | |||
-[[शक|शकों]] ने | |||
-[[गुप्त वंश|गुप्तों]] ने | |||
+[[कुषाण|कुषाणों]] ने | |||
-[[मौर्य|मौर्यों]] ने | |||
||युइशि लोगों के पाँच राज्यों में अन्यतम का कुएई-शुआंगा था। 25 ई. पू. के लगभग इस राज्य का स्वामी कुषाण नाम का वीर पुरुष हुआ, जिसके शासन में इस राज्य की बहुत उन्नति हुई। उसने धीरे-धीरे अन्य युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-: [[कुषाण]] | |||
{निम्न में से किस विद्वान ने [[कनिष्क]] की राजसभा को सुशोभित नहीं किया? | |||
|type="()"} | |||
-[[अश्वघोष]] | |||
-[[नागार्जुन]] | |||
-वसुमित्र | |||
+बसुबन्धु | |||
{सर्वप्रथम रोम के साथ किन लोगों का व्यापार प्रारम्भ हुआ? | |||
|type="()"} | |||
-[[कुषाण|कुषाणों]] का | |||
+तमिलों एवं [[चेर वंश|चेरों]] का | |||
-[[वाकाटक वंश|वाकाटकों]] का | |||
-[[शक|शकों]] का | |||
{प्रसिद्ध 'रेशम मार्ग' पर किस वंश के शासकों का अधिकार था? | |||
|type="()"} | |||
-[[मौर्य|मौर्यों]] का | |||
-[[शक|शकों]] का | |||
+[[कुषाण|कुषाणों]] का | |||
-[[गुप्त वंश|गुप्तों]] का | |||
||युइशि लोगों के पाँच राज्यों में अन्यतम का कुएई-शुआंगा था। 25 ई. पू. के लगभग इस राज्य का स्वामी कुषाण नाम का वीर पुरुष हुआ, जिसके शासन में इस राज्य की बहुत उन्नति हुई। उसने धीरे-धीरे अन्य युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-: [[कुषाण]] | |||
{किस काल में अछूत की अवधारणा स्पष्ट रूप से उदित हुयी? | |||
|type="()"} | |||
-ऋग्वैदिक काल | |||
-उत्तर वैदिक काल | |||
+धर्मशास्त्र के काल | |||
-उत्तर-गुप्त काल | |||
{प्राचीन [[भारत]] में 'निष्क' से जाने जाते थे? | |||
|type="()"} | |||
+स्वर्ण आभूषण | |||
-[[गाय|गायें]] | |||
-[[ताँबा|ताँबे]] के सिक्के | |||
-[[चाँदी]] के सिक्के | |||
{[[आर्य]] [[भारत]] में संभवतः आये? | |||
|type="()"} | |||
-[[यूरोप]] से | |||
+मध्य [[एशिया]] से | |||
-पूर्वी एशिया से | |||
-अन्य क्षेत्रों से | |||
{कौन-सा [[वेद]] अंशतः गद्य रूप में भी रचित है? | |||
|type="()"} | |||
-[[ऋग्वेद]] | |||
+[[यजुर्वेद]] | |||
-[[सामवेद]] | |||
-[[अथर्ववेद]] | |||
||[[चित्र:Yajurveda.jpg|right|100px|यजुर्वेद का आवरण पृष्ठ]] 'यजुष' शब्द का अर्थ है- '[[यज्ञ]]'। यर्जुवेद मूलतः कर्मकाण्ड ग्रन्थ है। इसकी रचना [[कुरुक्षेत्र]] में मानी जाती है। यजुर्वेद में आर्यो की धार्मिक एवं सामाजिक जीवन की झांकी मिलती है। इस ग्रन्थ से पता चलता है कि [[आर्य]] 'सप्त सैंधव' से आगे बढ़ गए थे और वे प्राकृतिक पूजा के प्रति उदासीन होने लगे थे। यर्जुवेद के मंत्रों का उच्चारण 'अध्वुर्य' नामक पुरोहित करता था।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[यजुर्वेद]] | |||
{'सभा और समिति प्रजापति की दो पुत्रियाँ थी' का उल्लेख किस [[वेद]] में मिलता है? | |||
|type="()"} | |||
-[[ऋग्वेद]] में | |||
-[[यजुर्वेद]] में | |||
-[[सामवेद]] में | |||
+[[अथर्ववेद]] में | |||
||[[चित्र:Atharvaveda.jpg|right|100px||अथर्ववेद का आवरण पृष्ठ]] [[अथर्ववेद]] की [[भाषा]] और स्वरूप के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस [[वेद]] की रचना सबसे बाद में हुई। अथर्ववेद के दो पाठों (शौनक और पैप्पलद) में संचरित हुए लगभग सभी स्तोत्र ॠग्वेदीय स्तोत्रों के छंदों में रचित हैं। दोनो वेदों में इसके अतिरिक्त अन्य कोई समानता नहीं है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अथर्ववेद]] | |||
{[[ब्राह्मण]] ग्रंथों में सर्वाधिक प्राचीन कौन है? | |||
|type="()"} | |||
-[[ऐतरेय ब्राह्मण]] | |||
+[[शतपथ ब्राह्मण]] | |||
-[[गोपथ ब्राह्मण]] | |||
-पंचविश ब्राह्मण | |||
||शतपथ ब्राह्मण शुक्ल [[यजुर्वेद]] के दोनों शाखाओं काण्व व माध्यन्दिनी से सम्बद्ध है। यह सभी [[ब्राह्मण]] ग्रन्थों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसके रचयिता [[याज्ञवल्क्य]] को माना जाता है। शतपथ के अन्त में उल्लेख है- 'ष्आदिन्यानीमानि शुक्लानि यजूशि बाजसनेयेन याज्ञावल्येन ख्यायन्ते।' शतपथ ब्राह्मण में 14 काण्ड हैं जिसमें विभिन्न प्रकार के [[यज्ञ|यज्ञों]] का पूर्ण एवं विस्तृत अध्ययन मिलता है। 6 से 10 काण्ड तक को शाण्डिल्य काण्ड कहते हैं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[शतपथ ब्राह्मण]] | |||
{'गोत्र' व्यवस्था प्रचलन में कब आई? | |||
|type="()"} | |||
-ऋग्वैदिक काल में | |||
+उत्तर-वैदिक काल में | |||
-महाकाव्य काल में | |||
-सूत्रकाल में | |||
{वैदिक [[युग]] में 'यव' कहा जाता था? | |||
|type="()"} | |||
-[[गेहूँ]] को | |||
+जौ को | |||
-[[चावल]] को | |||
-इनमें से कोई नहीं | |||
{प्राचीनतम व्याकरण '[[अष्टाध्यायी]]' के रचनाकार हैं? | |||
|type="()"} | |||
-[[गौतम ऋषि|गौतम]] | |||
-[[कपिल मुनि|कपिल]] | |||
-[[पतंजलि]] | |||
+[[पाणिनि]] | |||
||पाणिनि (500 ई पू) [[संस्कृत]] व्याकरण शास्त्र के सबसे बड़े प्रतिष्ठाता और नियामक आचार्य थे। इनका जन्म [[पंजाब]] के शालातुला में हुआ था जो आधुनिक पेशावर ([[पाकिस्तान]]) के क़रीब तत्कालीन उत्तर पश्चिम [[भारत]] के [[गांधार]] में हुआ था। इनका जीवनकाल 520-460 ईसा पूर्व माना जाता है। इनके व्याकरण को [[अष्टाध्यायी]] कहते हैं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[पाणिनि]] | |||
{निम्न में से कौन-सी स्मृति प्राचीनतम है? | |||
|type="()"} | |||
+[[मनुस्मृति]] | |||
-याज्ञवल्क्य स्मृति | |||
-[[नारद स्मृति]] | |||
-[[पाराशर स्मृति]] | |||
||भारत में [[वेद|वेदों]] के उपरान्त सर्वाधिक मान्यता और प्रचलन ‘मनुस्मृति’ का ही है । इसमें चारों वर्णों, चारों आश्रमों, [[हिन्दू धर्म संस्कार|सोलह संस्कारों]] तथा सृष्टि उत्पत्ति के अतिरिक्त राज्य की व्यवस्था, राजा के कर्तव्य, भांति-भांति के विवादों, सेना का प्रबन्ध आदि उन सभी विषयों पर परामर्श दिया गया है जो कि मानव मात्र के जीवन में घटित होने सम्भव हैं यह सब धर्म-व्यवस्था वेद पर आधारित है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मनुस्मृति]] | |||
{'आदि काव्य' की संज्ञा किसे दी जाती है? | |||
|type="()"} | |||
+[[रामायण]] | |||
-[[महाभारत]] | |||
-[[गीता]] | |||
-[[भागवत पुराण]] | |||
||[[चित्र:Ramayana.jpg|रामायण|right|80px]] रामायण कवि [[वाल्मीकि]] द्वारा लिखा गया [[संस्कृत]] का एक अनुपम महाकाव्य है। इसके 24,000 [[श्लोक]] [[हिन्दू]] [[स्मृतियाँ|स्मृति]] का वह अंग हैं जिसके माध्यम से [[रघुवंश]] के राजा [[राम]] की गाथा कही गयी।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामायण]] | |||
{[[ऋग्वेद]] में सबसे पवित्र नदी किसे माना गया है? | |||
|type="()"} | |||
-[[सिन्धु नदी|सिन्धु]] | |||
+[[सरस्वती नदी|सरस्वती]] | |||
-परुष्णी | |||
-शतुद्रि | |||
||[[चित्र:Saraswati-River.png|सरस्वती नदी|right|100px]]कई भू-विज्ञानी मानते हैं, और [[ॠग्वेद]] में भी कहा गया है, कि हज़ारों साल पहले [[सतलुज नदी|सतलुज]] (जो [[सिन्धु नदी|सिन्धु]] नदी की सहायक नदी है) और [[यमुना नदी|यमुना]] (जो [[गंगा नदी|गंगा]] की सहायक नदी है) के बीच एक विशाल नदी थी जो [[हिमालय]] से लेकर [[अरब सागर]] तक बहती थी। आज ये भूगर्भी बदलाव के कारण सूख गयी है। ऋग्वेद में, इस नदी सरस्वती को 'नदीतमा' की उपाधि दी गयी है। उस सभ्यता में सरस्वती ही सबसे बड़ी और मुख्य नदी थी, गंगा नहीं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सरस्वती नदी]] | |||
{ [[थानेश्वर]] में [[वर्धन वंश]] की स्थापना किसने की थी? | |||
|type="()"} | |||
-राज्यवर्धन | |||
-आदित्यवर्धन | |||
+पुष्यभूतिवर्धन | |||
-नरवर्धन | |||
{ [[हर्षवर्धन]] प्रत्येक पाँच वर्ष के बाद कहाँ पर सम्मेलन आयोजित करता था? | |||
|type="()"} | |||
-[[कन्नौज]] | |||
-वल्लभि | |||
+[[प्रयाग]] | |||
-[[थानेश्वर]] | |||
||प्रयाग में आत्मघात करने वाले को [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों के अनुसार जो योगी [[गंगा]]-[[यमुना नदी|यमुना]] के संगम पर आत्महत्या करके स्वर्ग को प्राप्त करता है, वह पुन: नरक नहीं देख सकता। प्रयाग में वैश्यों और शूद्रों के लिए आत्महत्या विवशता की स्थिति में यदा-कदा ही मान्य थी। किन्तु [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] और क्षत्रियों के द्वारा आत्म-अग्न्याहुति दिया जाना एक विशेष विधान के अनुसार उचित था। अत: जो ऐसा करना चाहें तो ग्रहण के दिन यह कार्य सम्पन्न करते थे, या किसी व्यक्ति को मूल्य देकर डूबने के लिए क्रय कर लेते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्रयाग]] | |||
{ [[कदम्ब वंश|कदम्ब]] राज्य के संस्थापक 'मयूरदर्शन' ने किसे अपनी राजधानी बनाया था? | |||
|type="()"} | |||
-[[बंगाल]] | |||
-[[कन्नौज]] | |||
+वैजयंती या बनवासी | |||
-इनमें में से कोई नहीं | |||
{ किस संगमयुगीन [[चेर वंश|चेर]] शासक ने ‘पत्तिनी पूजा’ या ‘कण्णगी पूजा’ की प्रथा को प्रारम्भ करवाया था? | |||
|type="()"} | |||
-कुट्टवन | |||
-उदियनजेरल | |||
+शेनगुट्टुवन | |||
-नेदुनजेरल आदन | |||
{ संगम युगीन अंत्येष्टि सम्बन्धी कथन में कौन-सा असत्य है? | |||
|type="()"} | |||
-ताबूत में दफन करना | |||
-दाह संस्कार करना | |||
-सीधा दफन करना | |||
+पक्षियों व जानवरों के लिए खुला छोड़ देना | |||
{ वेंगी के युद्ध में [[चोल वंश|चोल]] नरेश करिकाल से पराजित होकर किस चेर राजा ने आत्महत्या कर ली? | |||
|type="()"} | |||
-उदियनरेजल | |||
-शेनगुट्टुवन | |||
-जेरल आदन | |||
+नेदुन जेरल | |||
{ किस [[राष्ट्रकूट वंश|राष्ट्रकूट]] शासक ने [[एलोरा की गुफ़ाएँ|एलोरा]] के पर्वतों को काटकर प्रसिद्ध कैलाश मन्दिर का निर्माण करवाया था? | |||
|type="()"} | |||
-[[इन्द्र तृतीय]] | |||
-[[कृष्ण तृतीय]] | |||
+[[कृष्ण प्रथम]] | |||
-ध्रुव | |||
|| [[दंतिदुर्ग]] के चाचा एवं उत्तराधिकारी कृष्ण प्रथम ने [[बादामी]] के [[चालुक्य वंश|चालुक्यों]] के अस्तित्व को पूर्णतः समाप्त कर दिया था। उसने [[मैसूर]] के गंगो की राजधानी मान्यपुर एवं लगभग 772 ई. में [[हैदराबाद]] को अपने अधिकार क्षेत्र में कर लिया। उसने सम्भवतः दक्षिण कोंकण के कुछ भाग को भी जीता था। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कृष्ण प्रथम]] | |||
{ वेंगी के [[चालुक्य वंश]] का संस्थापक कौन था? | |||
|type="()"} | |||
+विष्णुवर्धन | |||
-विजयादित्य | |||
-इन्द्रवर्धन | |||
-जयसिंह द्वितीय | |||
{ कल्याणी के [[चालुक्य वंश]] का संस्थापक कौन था? | |||
|type="()"} | |||
-[[सत्याश्रय]] | |||
-विक्रमादित्य | |||
+तैल या [[तैल चालुक्य|तैलप द्वितीय]] | |||
-[[तैलप तृतीय]] | |||
|| तैल चालुक्य द्वितीय चालुक्य राजवंश का प्रतिष्ठापक था। उसकी राजधानी कल्याणी थी। 972 ई. के आसपास उसने अन्तिम राष्ट्रकूट राजा कर्क द्वितीय को परास्त किया। तैल द्वारा प्रतिष्ठापित राजवंश ने 1119 ई. तक शासन किया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तैल चालुक्य]] | |||
{ ‘सप्तरथ मन्दिर’ का निर्माण [[पल्लव वंश|पल्लव]] नरेश [[नरसिंह वर्मन प्रथम]] ने कहाँ पर करवाया था? | |||
|type="()"} | |||
+[[महाबलीपुरम]] | |||
-[[कांची]] | |||
-[[मदुरा]] | |||
-इनमें से कोई नहीं | |||
||महाबलीपुरम ऐतिहासिक नगर, मामल्लपुरम भी कहलाता है, यह पूर्वोत्तर [[तमिलनाडु]] राज्य, दक्षिण भारत में स्थित है। यह नगर [[बंगाल की खाड़ी]] पर [[चेन्नई]] (भूतपूर्व [[मद्रास]]) से 60 किलोमीटर दूर स्थित है। इसका एक अन्य प्राचीन नाम बाणपुर भी है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाबलीपुरम]] | |||
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Revision as of 06:56, 16 May 2011
इतिहास
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