गीता 4:19

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 08:11, 19 March 2010 by Ashwani Bhatia (talk | contribs) (Text replace - '<td> {{गीता अध्याय}} </td>' to '<td> {{गीता अध्याय}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>')
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

गीता अध्याय-4 श्लोक-19 / Gita Chapter-4 Verse-19


यस्य सर्वे समारम्भा: कामसंकल्पवर्जिता: ।
ज्ञानग्निदग्धकर्माणं तमाहु: पण्डितं बुधा: ।।19।।




जिसके सम्पूर्ण शास्त्रसम्मत कर्म बिना कामना और संकल्प के होते हैं तथा जिसके समस्त कर्म ज्ञानरूप अग्नि के द्वारा भस्म हो गये हैं, उस महापुरुष को ज्ञानीजन भी पण्डित कहते हैं ।।19।।


Even the wise call him a sage, whose undertaking are all free from desire and thoughts of the world, and whose actions are burnt up by the fire of wisdom. (19)


यस्य = जिसके; सर्वे = सपूर्ण; समारम्भा: = कार्य; कामसंकल्पवर्जिता: = कामना और संकल्प से रहित हैं (ऐसे); तम् = उस; ज्ञानाग्निदग्धकर्माणम् = ज्ञानरूप अग्निद्वारा भस्म हुए कर्मों वाले पुरुष को; बुधा: = ज्ञानीजन (भी); पण्डितम् = पण्डित; आहु: = कहते हैं



अध्याय चार श्लोक संख्या
Verses- Chapter-4

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29, 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः